कहते हैं कि आप अगर ठान लें तो क्या कुछ हासिल नहीं हो सकता. परिस्थिति चाहे जो भी हो आप वो सब हासिल कर लेते हैं जो आप पाना चाहते हैं. मुंबई के सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज-केईएम अस्पताल के चार डॉक्टरों ने घंटों की ड्यूटी करते हुए यूपीएससी (UPSC) जैसे कठिन परीक्षा को क्रैक किया. आमतौर पर यूपीएससी की परीक्षा के लिए छात्र फोकस होकर घंटों की पढ़ाई करते हैं लेकिन इन डॉक्टरों ने घंटों तक अस्पताल में काम किया. मरीजों की देखभाल की और ये सब करते हुए सिविल सेवा परीक्षा पास की. चलिए जानते हैं कि उन्होंने आखिर डॉक्टरी छोड़ सिविल सेवा को क्यों चुना, किस तरह से तैयारी की और उनका रैंक क्या है.
नेहा ने हासिल की 51वीं रैंक
26 वर्षीय डॉ नेहा राजपूत ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 51वीं रैंक हासिल की है. वह जलगांव की रहने वाली हैं. नेहा ने 2016 में जीएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. इंटर्नशिप के बाद डॉ राजपूत फोरेंसिक विभाग में काम कर रही थीं. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि ट्रेनिंग के बाद मैं स्वास्थ्य की क्षेत्र में काम करना चाहती हूं.
सोलापुर के रहने वाली डॉ. तेजस सारदा ने यूपीएससी की परीक्षा में 128वीं रैंक हासिल की. उनका चयन भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के लिए हुआ है. जून 2021 में केईएम अस्पताल से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद सारदा ने यूपीएससी करने का सोचा. उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इतनी ऊंची रैंक मिलेगी.
आदिवासी इलाकों में काम करने की है इच्छा
डॉ अजय डोके की कहानी प्रेरणा से भरी है. वह पालघर जिले के आदिवासी गांव कोगदा से आते हैं. एक गांव से आईपीएस अधिकारी बनने तक का सफर उन्होंने तय किया है. उन्होंने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की और 687वीं रैंक हासिल की.सिविल सेवा क्यों चुना के सवाल पर अजय कहते हैं कि उन्हें आदिवासी इलाकों में काम करने की इच्छा थी और यही वजह है कि वह उन्होंने प्रशासनिक सेवा को चुना. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि आदिवासी इलाकों और शहरी केंद्रों के बीच शिक्षा में बहुत ज्यादा अंतर है. मेरा लक्ष्य इस अंतर को खत्म करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए बेसिक चीजों में सुधार लाना है.
6 बार रहे असफल
नवी मुंबई के डॉ स्नेहा वाघमारे ने यूपीएससी में 945 वीं रैंक हासिल की है. उन्होंने कहा कि एमबीबीएस पूरा करने के बाद मैंने केईएम अस्पताल में काम किया है. अगर आपने यहां काम किया है तो आप एक सिविल सेवक के तौर पर किसी भी तरह के दबाव को झेल सकते हैं. मेरी मेडिकल पृष्ठभूमि ने मुझमें अनुशासन और समर्पण की भावना पैदा की और यह यूपीएससी की तैयारी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. यूपीएससी की परीक्षा में 6 बार फेल हुए लेकिन हार नहीं मानी. मैं रोज 8 से 12 घंटे पढ़ाई करता था.वह कहते हैं कि मैं भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) में शामिल हो जाऊंगा और मेरी ट्रेनिंग जल्द ही शुरू हो जाएगी. यूपीएससी की परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए उन्होंने कहा कि मैं हमेशा प्लान बी रखने का सुझाव दूंगा. यूपीएससी को प्लान ए बनाएं लेकिन साथ में प्लान बी भी रखें. यानी अगर आप परीक्षा में फेल भी हो जाते हैं तो प्लान बी आपको आर्थिक रूप से मजबूत रखेगा.