
इंसानों के ब्लड जोनेशन की बात तो आपने कई बार देखी और सुनी होगा. लेकिन क्या आपको पता है कुत्ते भी ब्लड डोनेशन करते हैं. जीहां राजस्थान के अलवर जिले में कुछ डॉग्स ब्लड डोनेट करके दूसरे जानवरों की जान बचा रहे हैं. इंसानों की तरह ये डॉग्स भी दूसरों की मदद के लिए अपना खून देने आते हैं.
जिले में होने वाले सड़क हादसों और अन्य घटनाओं में डॉग्स का घायल होना आम बात है. अक्सर इन हादसों में डॉग का खून बह जाता है, जिससे उनकी जान भी खतरे में पड़ जाती है लेकिन अब इन घटनाओं से निपटने के लिए अलवर के कुछ डॉग्स ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं. इस पहल से अब किसी भी डॉग की मौत खून की कमी के कारण नहीं होगी.
इस अनोखी पहल के पीछे एक संस्था का हाथ है, जो अलवर जिले के सबसे बड़े पशु चिकित्सालय परिसर में काम कर रही है. यह संस्था घायल कुत्तों, बंदरों, कबूतरों और अन्य जानवरों का इलाज करती है. सड़क हादसों या अन्य दुर्घटनाओं में घायल होने वाले जानवरों को पशु चिकित्सालय लाया जाता है. यहां उनकी आवश्यक दवाइयां, ड्रिप्स और ऑपरेशन किए जाते हैं, ताकि वे जल्दी ठीक हो सकें और फिर उन्हें वापस उनके घर या जहां से रेस्क्यू किया गया था, वहां छोड़ दिया जाता है.
संस्था में करीब 80 जानवर
संस्था के दिवाकर ने हमें बताया कि इस वक्त उनके पास करीब 80 जानवर हैं, जिनमें कुत्ते, बंदर, कबूतर और वन्य जीव शामिल हैं। इनमें से कुछ डॉग ऐसे हैं जो अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं और दूसरों के लिए ब्लड डोनेट करते हैं. इन डॉग्स के नाम हैं कालू, बहरा और भूरी. ये डॉग्स उन हादसों का शिकार हुए थे, जिनमें उनका खून बह गया था, लेकिन अब स्वस्थ होकर ये रक्तदान कर दूसरे डॉग्स की जान बचाते है.
एक कुत्ते में 13 से 20 तरह के ब्लड ग्रुप
डॉक्टरों का कहना है कि डॉग का ब्लड डोनेशन एक बेहद अहम कदम साबित हो सकता है, खासकर ऐसे इलाके में जहां सड़क हादसों में कुत्तों के घायल होने की घटनाएं आम होती हैं. दिलचस्प बात यह है कि कुत्तों में ब्लड ग्रुप के कई प्रकार होते हैं. एक कुत्ते में 13 से 20 तरह के ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं, जिससे ब्लड मैचिंग की समस्या भी नहीं होती. इसका मतलब यह है कि कुत्तों का खून बहुत आसानी से दूसरे कुत्तों को दिया जा सकता है, और यह प्रक्रिया बहुत कारगर साबित हो रही है.
एक डॉग साल में 5 से 6 बार ब्लड डोनेट कर सकता है
ब्लड डोनेशन के इस पूरे सिस्टम को सही तरीके से चलाने के लिए ब्लड को एक विशेष तापमान पर स्टोर किया जाता है, जिससे यह 6 महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है. एक डॉग साल में 5 से 6 बार ब्लड डोनेट कर सकता है. इस प्रकार, जब भी किसी कुत्ते को खून की जरूरत होती है, तो यह सिस्टम मददगार साबित होता है.
यह कदम निश्चित रूप से हमारे समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है. जहां इंसान अपनी क्षमता के अनुसार दूसरों की मदद करता है, वहीं जानवर भी अपनी सीमाओं में रहकर दूसरों की जिंदगी बचाने का कार्य कर रहे हैं. यह पहल जानवरों के प्रति हमारे नजरिए को बदलने का काम कर रही है. हमें यह समझने की आवश्यकता है कि जानवर भी जीवित हैं, और अपनी भूमिका निभाने में सक्षम हैं.
इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे डॉग्स
इस प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए पशु चिकित्सक डॉ. अनुज तोमर ने बताया, "डॉग्स में ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया सुरक्षित और लाभकारी है. यह न केवल कुत्तों के लिए, बल्कि पूरी पशु दुनिया के लिए एक नई दिशा है. जब कोई डॉग घायलों का इलाज करवाकर स्वस्थ हो जाता है और ब्लड डोनेट करता है, तो यह सच्चे अर्थों में इंसानियत की मिसाल पेश करता है."
इस पहल का समाज पर बड़ा असर पड़ सकता है. यह उदाहरण दिखाता है कि कैसे हम जानवरों के साथ अपनी मित्रता और जिम्मेदारी को समझ सकते हैं. यह पहल न केवल कुत्तों की मदद कर रही है, बल्कि हमारे समाज में जानवरों के अधिकारों की रक्षा और उनके साथ इंसानियत के रिश्ते को भी मजबूत कर रही है.
रिदम जैन की रिपोर्ट