मध्य प्रदेश के इंदौर में रहने वाली 77 वर्षीय वृद्ध विधवा महिला सुनैना महाडिक को आज 27 साल बाद इंसाफ मिला है. और इसके लिए वह लगातार जिला कलेक्टर मनीष सिंह को धन्यवाद दे रही हैं. दरअसल, सुनैना के घर पर उनके किराएदार योगेंद्र पुराणिक ने कब्जा कर लिया था और पिछले 27 सालों से वह घर खाली नहीं कर रहा था.
हाल ही में, कलेक्टर के आदेश पर प्रशासन के अधिकारियों ने मकान खाली कराया. बरसों बाद सुनैना को उनका घर मिला और इसपर उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े.
पति लड़ते रहे केस पर नहीं मिला इंसाफ
सुनैना ने बताया कि उनके पति पिछले 27 वर्षों से अपना मकान खाली कराने के लिए केस लड़ रहे थे और अंत में उनकी मृत्यु हो गई. लेकिन मकान खाली नहीं हो पाया. जिला कलेक्टर सिंह को सुनैना ने धन्यवाद देते हुए कहा कि कलेक्टर मनीष सिंह वृद्ध विधवाओं और असहाय लोगों के मसीहा हैं.
उनकी एक ही बेटी है जो कई वर्षों से लगातार इस केस के चक्कर में कलेक्टर कार्यालय में दिन भर बैठी रहती थी. पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह से जब उन्होंने अपनी व्यथा बताई तो उन्होंने न्याय का भरोसा दिलाया. कलेक्टर साहब ने 2 माह पहले इसी किराएदार से उनकी दुकान खाली करवाई थी और अब मकान भी खाली करा दिया है.
उन्होंने बताया कि योगेंद्र पुराणिक आए दिन उनसे बदतमीजी भी करता था और कहता था अगर ताकत है तो मकान खाली करवा कर देख लेना. लेकिन प्रशासन ने यह कर दिखाया.
किराएदार ने मकान पर कर लिया था कब्जा
उन्होंने कहा कि किराए से परिवार की मदद हो जाएगी इस उद्देश्य से सालों पहले उनके पति ने योगेंद्र पुराणिक को मकान और दुकान किराए पर दिए थे. लेकिन उसने धीरे-धीरे कब्जा ही जमा लिया और पिछले 10 वर्षों से तो उसने किराया देना भी बंद कर दिया था.
आज तहसीलदार नितेश भार्गव और नायब तहसीलदार हर्षा वर्मा के साथ नगर निगम के कर्मचारी पुलिस बल की मौजूदगी में मौके पर पहुंचे. इस दौरान किराएदार परिवार का कोई भी सदस्य वहां मौजूद नहीं था, जबकि कल शाम ही उक्त किराएदारी के भाग पर जिला प्रशासन द्वारा नोटिस चस्पा किया गया था.
योगेंद्र पुराणिक को नोटिस देने के बाद भी उसने कब्जा नहीं सौंपा था इसलिए ताला तोड़कर सामान बाहर निकालना पड़ा और सुनैना महाडिक को मकान का कब्ज़ा सौंप दिया गया.
(धर्मेन्द कुमार शर्मा की रिपोर्ट)