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देवरिया में लगाई गई डाक टिकटों की प्रदर्शनी, लोगों को लुभा रहा है महात्मा गांधी के ऊपर 140 देशों से जारी डाक टिकटों का ये अनोखा संग्रह

उत्तर प्रदेश के देवरिया में महापुरुषों, शहीदों और क्रांतिकारियों के योगदान को दिखाने के लिए एक प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी में सबसे बड़ा आकर्षण महात्मा गांधी के ऊपर 140 देशों से जारी डाक टिकटों संग्रह है. इसके जरिए हिमांशु लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें आजादी बहुत मुश्किल से मिली है.

Mahatma Gandhi stamp Mahatma Gandhi stamp
हाइलाइट्स
  • 8 अगस्त को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था

  • अमेरिका ने 1969 में महात्मा गांधी के ऊपर डाक टिकट जारी किया था

आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों, शहीदों और क्रांतिकारियों के योगदान को व्यक्त करने के लिए यूपी के देवरिया जिले में एक बड़ी डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगाई गई है. इसका नाम है ‘आजादी की कहानी डाक टिकटों की जुबानी’. इसे लगाने वाले व्यक्ति हैं हिमांशु सिंह.  डाक टिकटों का संग्रह करने वाले हिमांशु सिंह को बचपन में ही डाक टिकटों को संग्रह करने का शौक हुआ और कब यह जुनून बन गया यह हिमांशु को भी नहीं पता चला. 

हिमांशु तीस साल से लगातार देश-विदेश के पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय डाक टिकटों का संग्रह करते चले आ रहे हैं.  हिमांशु के पास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ऊपर 140 देशों से जारी डाक टिकटों का अनोखा संग्रह है. इसके लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है.

बड़ी मुश्किल से मिली है हमें आजादी 

डाक टिकट संग्रहकर्ता हिमांशु कुमार सिंह ने बताया कि 8 अगस्त को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था. साथ ही करो या मरो का नारा दिया था. भारत छोड़ो आंदोलन की स्मृति में गांधी जी से जुड़े विभिन्न डाक टिकट, सिक्के, पुस्तक, कागजी नोट, तस्वीरें, आदि लोगों के लिए लगाई गई हैं. 

डाक टिकट संग्रहकर्ता  हिमांशु सिंह कहते हैं, “आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान मैं बच्चों के बीच यह संदेश देना चाहता हूं कि आजादी हमने बड़ी मुश्किल से पाई थी. जो वीर क्रांतिकारी थे उन पर जो डाक टिकट जारी थे मैंने उन्हें आज यहां पर प्रदर्शित किया है. उनको धरोहर और विरासत के रूप में मैंने संजोकर रखा है.”

हिमांशु आगे कहते हैं, “बड़े गर्व की बात है कि गांधी जी के ऊपर लगभग 150 देशों में टिकट जारी किए गए हैं और इनमें से मेरे संग्रह में 140 देशों के डाक टिकट हैं. सबसे बड़ी बात है कि जो ₹10 का टिकट जारी किया गया था और तांबे के पेपर पर खादी का पहला टिकट ये दोनों मेरे संग्रह में मौजूद हैं. मैंने यह सब सहेजकर रखा है क्योंकि ये हमारी विरासत है. गांधी जी पर जारी टिकट बहुत महंगा होता है लेकिन फिर भी मैं अत्यधिक पैसे खर्च कर खरीदता हूं.”

डाक टिकट के अलावा ये है मुख्य आकर्षण का केंद्र 

डाक टिकटों के अलावा 150 रुपये का गांधीजी पर जारी चांदी का सिक्का, 1000 रुपये का सिक्का तथा खादी पर जारी विश्व का प्रथम डाक टिकट लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. नील आंदोलन हो, या चाहे नमक आंदोलन हो या फिर सत्याग्रह आंदोलन ही क्यों न हो उन सभी पर देश और विदेश में जो डाक टिकट जारी हुआ वह भी इस युवक के संग्रह में शामिल है. 

बताते चलें कि अमेरिका सबसे पहला देश है जिसने 1969 में महात्मा गांधी के ऊपर डाक टिकट जारी किया था, वह भी इस प्रदर्शनी में शामिल किया गया. इस प्रदर्शनी में महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, सरदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहर लाल नेहरु, सरोजनी नायडू,रवींद्र नाथ टैगोर सहित कई स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों के योगदान को प्रदर्शित किया गया. 

(राम प्रताप सिंह की रिपोर्ट)