संसार में रहकर सांसारिक मोह माया का त्याग करना असंभव तो नहीं लेकिन यह कार्य असंभव से कम भी नहीं है. खासकर वैसे लोग या वैसा परिवार जिसे ईश्वर ने अकूत संपत्ति दी हो. इतनी संपत्ति कि वर्तमान के साथ-साथ अगली कुछ पुश्तों का भी काम हो जाए. लेकिन, ऐसे लोग जो अपनी पूरी संपत्ति दान कर दें और संसार में रहते हुए सांसारिक मोह माया या बंधन से ऊपर उठ जाएं, ऐसे विरले ही मिलते हैं.
करोड़ों की संपत्ति दान कर आध्यात्म का रास्ता चुना
दरअसल, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 70 किलोमीटर दूर राजनांदगांव में एक परिवार ने कुछ ऐसा ही किया है. पूरे परिवार ने करोड़ों की संपत्ति दान कर दी और दीक्षा लेकर आध्यात्म की दुनिया से जुड़ गए. परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्होंने अपनी इच्छा से आध्यात्म का रास्ता चुना है. सभी का यही मानना है कि इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता है. आध्यात्म न सिर्फ जरूरी है बल्कि आध्यात्म ही सबकुछ है.
आध्यात्म ही सत्य और ईश्वर का मार्ग
डाकलिया परिवार में माता-पिता ने अपने दो बेटे और दो बेटियों सहित सांसारिक मोहमाया का त्याग कर अध्यात्म की राह अपना ली. परिवार में मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया, उनकी पत्नी मुमुक्षु सपना डाकलिया, पुत्र मुमुक्षु देवेंद्र और मुमुक्षु हर्षित डाकलिया, दोनों बेटियां मुमुक्षु महिमा और मुमुक्षु मुक्ता डाकलिया ने आध्यात्म की राह चुनी है. सभी ने श्री जिन पीयूषसागर सूरीश्वर की मौजूदगी में दीक्षा ग्रहण की. दीक्षा लेने वाले पूरे परिवार का कहना है कि ये सत्य और ईश्वर का मार्ग है. इसलिए वे इस मार्गे पर चल पड़े.
राजनांदगांव शहर के जैन बगीचा में पहली बार एक ही परिवार के सभी 6 सदस्सों के साथ अन्य दो लोगों ने जैन साधु-साध्वी की दीक्षा ग्रहण की है. अब ये सभी मुनि साधू-साध्वी के रूप धर्म की अलख जाएंगे. दीक्षा कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जिले भर के जैन समाज के लोग शामिल हुए. दीक्षा समारोह को लेकर जैन समाज की तरफ से व्यापक तैयारियां की गई थी. इस आयोजन में देश-प्रदेश से श्रद्धालु पहुंचे थे.
दान कर दी करोड़ों की संपत्ति
परिवार के मुखिया मुमुक्षु भूपेंद्र ने बताया कि उनकी संपत्ति करोड़ों में है. इसमें जमीन, दुकान और दूसरी संपत्तियां भी शामिल है. पिछले साल 9 नवंबर को परिवार ने दीक्षा लेने का निर्णय लिया. दीक्षा लेने के लिए पूरे परिवार की सहमति बनी. इसके बाद सभी ने आध्यात्म की राह पर चलने का निर्णय लिया.