मुखर्जी नगर के एक चार मंजिला पीजी में 27 सितंबर को करीब 7:30 बजे आग लग गई. इसके बाद पूरी बिल्डिंग आग की जद में आ गई. जिस समय ये आग लगी उस समय लगभग 35 लड़कियां उस पीजी में थीं. कुछ तो आग लगने की शुरुवात में ही पीजी से बाहर आ गईं. मगर लगभग 7 से ज्यादा लड़कियां पीजी के एक फ्लोर में फंसी हुई थीं. ये सभी लड़कियां मुखर्जी नगर में ही कोचिंग करती हैं. इन 7 लड़कियों के साथ एक ढाई साल की बच्ची भी आग लगने के समय पीजी में मौजूद थी.
खिड़की तोड़कर निकाला
सभी लड़कियां आग लगने की वजह से बेहद घबरा गईं थीं, धुंए की वजह से सांस लेने तक में परेशानी हो रही थी. ऐसे में दिल्ली फायर सर्विस की टीम ने बाथरूम की एक खिड़की को तोड़ा जिस से सभी लड़कियां सांस ले पाई और लगातर अपने ऊपर पानी डालती रही ताकी अधिक समय तक वहां सुरक्षित रुका जा सके.
फंसी एक ढाई साल की बच्ची
पीजी के अंदर एक ढाई साल की बच्ची भी फांसी हुई थी जिसका नाम अंबी है. अंबी को दिल्ली फायर सर्विस के जवान धधकती आग से बाहर निकालकर लाए. धुएं की वजह से बच्ची बेहोश हो गई थी. बिल्डिंग से सुरक्षित बाहर निकालने के बाद तुरंत बच्ची को अस्पताल ले जाया गया. एक बाइक वाले ने फायर सर्विस वाले को लिफ्ट दी और किस्मत से बाइक वाला व्यक्ती भी डॉक्टर था. उसने बच्ची को सीपीआर देने के सलाह दी क्योंकि बच्ची कोई हरकत नहीं कर रही थी. बच्ची को पास के न्यू लाइफ हॉस्पिटल में पहुंचाया गया. इमरजेंसी में रखने के थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो वह रोने लगी.
मां ने फायर सर्विस वाले को बताया भगवान
दिल्ली फायर सर्विस के होनहार जवान अजमेर ने गुड न्यूज़ टुडे से बात करते हुए बताया की जब बच्ची कोई हरकत नहीं कर रही थीं, तो वो काफ़ी डर गए थे. मगर जब बच्ची को प्राथमिक उपचार दिया गया और वो रोई तब अजमेर काफ़ी भावुक हो गए उन्हें लगा जैसे बच्ची का जन्म अभी दोबारा हुआ है. ढाई साल की अंबी की मां अंबी को कुछ समय के लिए पीजी में अपनी बहन के पास छोड़कर बाजार गई थी. इतने में पीछे में आग लग गई जब अंबी की मां को उसके बारे में पता चला तो वह दौड़ी भागी उस तरफ गई. लेकिन उस समय बच्ची वहां नहीं थी. जब उन्हें पता चला की बच्ची को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया गया है तो उन्होंने दिल्ली फायर सर्विस का धन्यवाद कहा और अजमेर सिंह को भगवान का रूप बताया.
मुखर्जी नगर की इस आग में इंसानियत का एक चेहरा सामने आया. आग लगने के समय पड़ोसियों ने सबसे पहले वहां की बिजली व फिर फायर सर्विस को कॉल किया. जब तक दिल्ली फायर सर्विस वहां नहीं पहुंची तब तक कुछ बच्चियों को सुरक्षित बाहर निकलने का भी काम किया.
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