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सोलर पैनल वाली बिल्डिंग, विशाखापट्टनम में 24 कमरों के गेस्ट हाउस से पैदा होती है 100 किलोवाट बिजली

भारत में लगातार सौर ऊर्जा के दायरे का विस्तार हो रहा है. सौर ऊर्जा को लेकर नए प्रयोग और नई तकनीक का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. इसी की एक तस्वीर विशाखापट्टनम से सामने आई है. विशाखापट्टनम में एक शख्स ने अपने गेस्ट हाउस की पूरी बिल्डिंग को ग्रीन एनर्जी से लैस कर दिया है. पूरी बिल्डिंग में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल होता है. खास बात ये है कि सोलर पैनल छत पर नहीं लगाए गए हैं. बिल्डिंग के फ्रंट को शीशे की बजाए सोलर पैनल से ढक दिया गया है.

विशाखापट्टनम में सोलर पैनल वाली बिल्डिंग विशाखापट्टनम में सोलर पैनल वाली बिल्डिंग
हाइलाइट्स
  • विशाखापट्टनम में है सोलर पैनल वाली बिल्डिंग

  • बिल्डिंग से 100 किलोवाट बिजली पैदा होती है

क्लीन एनर्जी, ग्रीन एनर्जी के जरिए ही क्लीन इंडिया, ग्रीन इंडिया का मिशन पूरा हो सकता है. सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भारत तेजी से कदम बढ़ा रहा है. आज ना केवल शहरों में बल्कि भारत के दूर दराज गांवों में भी सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है. लोग अपनी जरुरत भी पूरी कर रहे हैं और अतिरिक्त बिजली को बेच कर कमाई भी कर रहे हैं. 

सोलर पैनल वाली बिल्डिंग-
सौर ऊर्जा उत्पादन में भी नई-नई तकनीक और प्रयोग हो रहे हैं. ऐसा ही एक प्रयोग विशाखापट्टनम की इस बिल्डिंग में किया गया है. इमारतों की छतों पर सोलर पैनल लगाकर बिजली पैदा करने की तस्वीरें तो आपने बहुत देखी होंगी. सौर ऊर्जा से रोशन हो रही इमारतों और घरों को भी आपने खूब देखा होगा. लेकिन विशाखापट्टनम में मौजूद पांच मंजिला ये इमारत शायद देश की पहली ऐसी बिल्डिंग है, जो पूरी की पूरी सौर पैनल से ही बनी है.
विशाखापट्टनम के गुरुद्वारा जंक्शन पर मौजूद ये इमारत स्मार्ट इन गेस्ट हाउस है. इस इमारत की पहली मंजिल से ऊपरी मंजिल तक चारों ओर लंबवत सोलर पैनल लगाए गए हैं. जिससे ना सिर्फ इस बिल्डिंग की ऊर्जा जरुरतें पूरी होती हैं. बल्कि इतनी बिजली पैदा होती है कि इसे ग्रिड को बेचकर मुनाफा भी कमाया जा रहा है.

100 किलोवाट की बिजली होती है पैदा- 
इस गेस्ट हाउस में 24 कमरे हैं. और हर कमरे में एयरकंडीशन लगा है. यानी बिजली की जरुरत काफी है. जिसे ये सौर प्रोजेक्ट पूरा करता है. इमारत में लगे इस सौर प्रोजेक्ट से रोजाना करीब 100 किलोवाट बिजली पैदा होती है. जबकि बिल्डिंग की रोजाना की ऊर्जा खपत 40 किलोवाट है. यानी सीधे सीधे 60 किलो वाट की बचत रोजाना हो रही है. इस अतिरिक्त बिजली को नेट मीटरिंग के माध्यम से आंध्र प्रदेश डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड ग्रिड को बेची जाती है. इससे गेस्ट हाउस के मालिक को अतिरिक्त आमदनी हो रही है.
इस सौर प्रोजेक्ट को लगाने में करीब 40 लाख का खर्च आया है. लेकिन जिस लिहाज से बिजली बेचकर मुनाफा कमाया जा रहा है. उससे उम्मीद है कि 6 महीने में ही पूरा निवेश वापस आ जाएगा. बड़ी बात ये है कि इस सौर पैनल से ना सिर्फ ग्रीन एनर्जी पैदा कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जा रहा है. बल्कि इमारत भी प्रदूषण से पूरी तरह सुरक्षित है. 

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