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Food lessons to learn from Gandhi Ji: शाकाहार से लेकर उपवास तक, महात्मा गांधी से सीख सकते हैं खान-पान से जुड़ी जरूरी बातें

महात्मा गांधी से हम बहुत सी बातें सीख सकते हैं और इनमें से एक महत्वपूर्ण बात है खान-पान. जी हां, स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ भोजन से संबंधित भी बहुत सी बातें गांधीजी से सीखी जा सकती हैं.

Mahatma Gandhi (Photo: Pinterest) Mahatma Gandhi (Photo: Pinterest)
हाइलाइट्स
  • गांधी जी देते थे नियमित उपवास रखने की सीख

  • शाकाहारी जीवन को स्वेच्छा से अपनाया

महात्मा गांधी के विचार और सिद्धांत आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं. आज भी बहुत से लोग गांधीवादी सिद्धांतों को फॉलो करते हैं. विदेशों में भी लोग गांधीजी की विचारधारा का सम्मान करके उनके दिखाए रास्तों पर चल रहे हैं. देश की आजादी के लिए संघर्ष करने से लेकर लोगों को अपने व्यक्तिगत जीवन को ऊपर उठाने तक में गांधीजी ने अहम भूमिका निभाई. 

आज हम आपको बता रहे हैं कि आप गांधीजी से सिर्फ सत्य और मेहनत से ही नहीं बल्कि खान-पान से जुड़ी बातें भी सीख सकते हैं. जी हां, गांधीजी का जीवन, उनका रहन-सहन और जीवनशैली हमें बहुत से ऐसे सिद्धांत सिखाती है जिन्हें अपनाकर हम अपने जीवन को स्वस्थ बना सकते हैं. 

1. पैदल चलना और उपवास करना 
गांधीजी हमेशा पैदल चलते थे. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गांधीजी अपने जीवन में 79000 किमी चले, जिसका मतलब हैकि हर दिन वह 18 किमी चले. इसके अलावा, वह बहुत ज्यादा खाने की बजाय नियमित उपवास करने के लिए जाने जाते हैं. उनका मानना था कि उपवास करने से आप अपने डाइजेस्टिव सिस्टम को आराम देते हैं. 

2. शाकाहारी भोजन 
गांधीजी ने इंग्लैंड जाने से पहले अपनी मां से वादा किया था कि वह विदेश में नॉन-वेज को हाथ नहीं लगाएंगे. लेकिन उनक लिए इंग्लैंड में ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था क्योंकि यहां शाकाहारी खाने के विकल्प बहुत कम थे और उनके सभी दोस्त मांसाहारी थे. लेकिन एक शाकाहारी रेस्त्रां में उन्हें हेनरी स्टीफन्स साल्ट की 'अ प्ली फॉर वेजीटेरियनिज्म एंड अदर एस्से' पढ़ने को मिली और इसे पढ़ने के बाद वह स्वेच्छा से शाकाहारी हो गए. 

3. शहद और गुड़ की वकालत 
गांधी जी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उन्होंने मिठाइयां और मसाले लेना बंद कर दिया था. उन्होंने चीनी को एक हानिकारक स्वीटनर माना और गुड़  उपयोग की वकालत की. साथ ही, उन्होंने शहद को भी चीनी से बेहतर बताया. 

4. पॉलिश्ड या अनपॉलिश्ड
गांधीजी ने हरिजन में लिखा है कि जब गेहूं का चोकर हटा दिया जाता है तो इसका पोषण बहुत कम हो जाता है. ग्रामीण और अन्य लोग जो अपनी चक्कियों में पिसा हुआ गेहूं का आटा खाते हैं, अपना पैसा बचाते हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनका स्वास्थ्य बचा रहता है. गांधीजी किसी भी प्रकार के पॉलिश किए हुए अनाज के पूरी तरह से खिलाफ थे.

5. डाइट रूल्स 
गांधीजी खाने के साथ अपने प्रयोगों के आधार पर कुछ नियम फॉलो करते थे. उनका कहना था कि कई अनाजों को एक साथ नहीं खाना चाहिए.  आम घरों में सब्जियों और फलों के अलावा चपाती, चावल और दाल, दूध, घी, गुड़ और तेल का उपयोग किया जाता है. उनका कहना था कि दूध के साथ चपाती या रोटी नहीं खानी चाहिए. एक मील में चपाती और सब्जी होनी चाहिएं तो वहीं दूसरे अलग मील में दूध या दही के साथ पकी हुई सब्जियां हो सकती हैं.