खाने-पीने की चीजों को लेकर हर किसी की अपनी अलग पसंद और टेस्ट होता है. लेकिन हम और आप में से अधिकांश लोग इस बात से सहमत होंगे कि जब भी किसी चॉकलेट की बात आती है तो हम सबने कभी ना कभी कैडबरी डेयरी मिल्क चॉकलेट का स्वाद जरूर चखा होगा. बच्चे भी इसे खूब पसंद से खाते हैं. चॉकलेट ब्रांड इतना लोकप्रिय हो गया था कि लोग दुकानों पर जाते थे और चॉकलेट बार नहीं बल्कि कैडबरी मांगते थे.
लेकिन, क्या आप कैडबरी चॉकलेट (Cadbury Chocolate) के प्रतिष्ठित पर्पल रैपर के पीछे की कहानी जानते हैं? आज हम आपको बताएंगे कि कैडबरी चॉकलेट को अपना पर्पल रैपर कैसे मिला और क्यों कैडबरी बैंगनी रंग (पैनटोन 2865सी) पर कॉपीराइट प्राप्त करने के लिए अदालत तक जाना पड़ा. कैडबरी ब्रांड की शुरुआत 1831 में हुई जब जॉन कैडबरी नाम के एक व्यक्ति ने व्यावसायिक स्तर पर चॉकलेट का उत्पादन शुरू किया. कैडबरी डेयरी मिल्क पहली बार 1905 में बेचा गया था.
कब मिला रॉयल वारंट?
रॉयल वारंट होल्डर एसोसिएशन के अनुसार, कैडबरी को 1854 में अपना पहला रॉयल वारंट दिया गया था. यह 1955 से महामहिम द क्वीन के रॉयल वारंट का धारक रहा है. कैडबरी 2 फरवरी 2010 को मोंडेलेज़ इंटरनेशनल परिवार का हिस्सा बन गया.
कैडबरी चॉकलेट रानी की पसंदीदा चॉकलेट थी! कैडबरी डेयरी मिल्क के रैपर का बैंगनी रंग कथित तौर पर रानी विक्टोरिया को श्रद्धांजलि देने के लिए चुना गया था. हालांकि, कैडबरी कानूनी परीक्षण मामले में हार गई, जब तीन न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि इसकी विशिष्ट बैंगनी पैकेजिंग को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें 'विशिष्टता' का अभाव था. यह झगड़ा लोकप्रिय चॉकलेट ब्रांड और उसके प्रतिस्पर्धी ब्रांड नेस्ले (Nestle)के बीच था. लेकिन आज भी, कैडबरी अपने पर्पल रैपर और गोल्डन फॉयल में लिपटे बेहतरीन चॉकलेटी स्वाद के लिए जानी जाती है.