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इस जिले के सभी पुलिस स्टेशन होंगे Water Positive, जानिए कैसे Rainwater Harvesting से बदल रही तस्वीर

Rain Water Harvesting: गीली मिट्टी फाउंडेशन की टीम गुरुग्राम पुलिस के साथ मिलकर 40 पुलिस स्टेशनों और चौकियों पर रेनवाटर हार्वेटिंग सिस्टम लगा रही है.

40 police stations in Gurugram to become water positive 40 police stations in Gurugram to become water positive
हाइलाइट्स
  • 40 स्टेशनों पर बनेंगे रेनवाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर

  • 600 करोड़ लीटर पानी से होगा ग्राउंडवाटर रिचार्ज

हम सब जानते हैं कि दुनियाभर में लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं. इसलिए पानी की एक-एक बूंद बचाने पर जोर दिया जा रहा है. पानी के संरक्षण को लेकर भारत में भी सालों से काम किया जा रहा है. दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुछ सालों से इस क्षेत्र की तस्वीर बदल रही है. धीरे-धीरे लोग पानी बचाने के अलग-अलग तरीकों के बारे में सजग हो रहे हैं. पानी संरक्षण का एक सबसे अच्छा तरीका है- वर्षाजल संचयन यानी Rainwater Harvesting. 

पुराने जमाने से इस्तेमाल किया जा रहा यह पारंपरिक तरीका वर्तमान में भी लोगों के काम आ रहा है. और अब तो प्रशासन भी लोगों के साथ मिलकर रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर काम कर रहा है. आज हम आपको बता रहे हैं प्रशासन की इस दिशा में एक शानदार पहल के बारे में. दरअसल, गुरुग्राम में भारत सरकार के 'Jal Shakti Abhiyan- Catch the rain, when it falls & where it falls' के तहत 40 पुलिस स्टेशन और चौकियों पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं. 

और इस काम का जिम्मा लिया है गीली मिट्टी फाउंडेशन ने. आपको बता दें कि गीली मिट्टी एक सामाजिक उद्यम है, जो सस्टेनेबल हाउसिंग और फार्मिंग पर काम करते हुए गरीब समुदायों को रोजगार से जोड़ रहा है. ओशो कालिया (सह-संस्थापक गिली मिट्टी फाउंडेशन) ने गुरुग्राम पुलिस के सथ अपने प्रोजेक्ट के बारे में GNT Digital से बात की.

40 स्टेशनों पर बनेंगे रेनवाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर
ओशो ने बताया कि गुरुग्राम के पुलिस आयुक्त कला रामचंद्रन ने एक मुलाकात के दौरान उन्हें बताया कि वह गुरुग्राम पुलिस की तरफ से पानी की दिशा में कोई काम करना चाहती हैं. यह उनका आइडिया था कि पुलिस विभाग भी इस तरह के काम में कोई मिसाल पेश करे. ऐसे में, ओशो ने उन्हें जिले के 40 पुलिस स्टेशनों पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनवाने के लिए कहा. लेकिन पुलिस विभाग के पास ज्यादा फंड्स नहीं थे तो ओशो ने अपने सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत इस परियोजना को फंड करने के लिए एसबीआई कार्ड्स से संपर्क किया. और उन्होंने इस काम में ओशो की मदद की. 

Work in progress on rainwater harvesting

 
केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के अनुसार, गुड़गांव 2008 से 'डार्क जोन' में रहा है. गुरुग्राम, भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तेजी से बढ़ता शहरी केंद्र है और लगातार पानी की भारी कमी का सामना कर रहा है. पानी की बढ़ती मांग को देखते हुए, गुरुग्राम में जल संकट को दूर करने के लिए वर्षा जल संचयन एक महत्वपूर्ण समाधान बन गया है. 
 
ओशो बताते हैं कि डीसीपी मुख्यालय और एसबीआई कार्ड से सभी आवश्यक कदम और अनुमोदन लेने के बाद पहल शुरू हुई. और ओशो व उनकी टीम एनजीओ से मिले जो वर्षा जल संचयन के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं. इन संगठनों ने परियोजना को लागू करने में उनकी मदद की. 

600 करोड़ लीटर पानी से होगा ग्राउंडवाटर रिचार्ज
आईपीएस डॉ. अंशु सिंगला ने इस प्रोजेक्ट में काफी मदद की. पहले चरण में, पुलिस थाने सुशांत लोक, सेक्टर 56, सेक्टर 51, पुलिस चौकी सेक्टर 46, सेक्टर 29 में वर्षा जल संचयन के लिए रिचार्ज वेल स्ट्रक्चर बनाए गए हैं. एक बार गुरुग्राम के सभी पुलिस स्टेशनों में रिचार्ज वेल स्ट्रक्चर का काम पूरा हो जाने के बाद, यहां सालाना ग्राउंडवाटर रिचार्ज क्षमता लगभग 600 करोड़ लीटर होगी. ओशो बताते हैं कि इन स्ट्रक्चर से लगातार भूजल स्तर बढ़ेगा जिससे पानी की समस्या कम होगी. 

अब तक ओशो और उनकी टीम ने 7 वर्षा जल संचयन संयंत्र पूरे कर लिए हैं, प्रस्तावित 40 में से, शेष 33 वर्षा जल संचयन संयंत्र अभी भी प्रगति पर हैं, उम्मीद है कि जल्द ही काम पूरा हो जाएगा. ओशो कहते हैं कि गुरुग्राम में भूजल स्तर अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है, इसलिए गुरुग्राम पानी की भारी कमी का सामना कर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में भूजल स्तर में भारी कमी आई है, डार्क जोन में होने के कारण, पानी की बेहतरी में मदद करने के लिए बहुत सारी पहलें चल रही हैं. 

यह काम करने वाला पहला जिला है गुरुग्राम
ओशो ने आगे बताया कि पूरे देश में गुरुग्राम ऐसा पहला जिला होगा, जहां सभी पुलिस स्टेशन वाटर पॉजिटिव होंगे. और यह अपने आप में एक मिसाल है क्योंकि जब प्रशासन सकारात्मक पहल करेगा तभी नागरिक भी प्रभावित होंगे. उन्होंने जिला पुलिस, गुरुग्राम, एसबीआई कार्ड्स और सभी गैर सरकारी संगठनों और जमीनी कार्यकर्ताओं को अभियान शुरू करने में मदद करने और समर्थन देने के लिए धन्यवाद किया. 

ओशो अंत में कहते हैं कि हमें गुरु नानक देव की इस बात से सीख लेनी चाहिए, “पवन गुरु, पानी पिता, माता धरत महत अर्थात वायु ही गुरु है, जल ही पिता है और धरती माता है और हम इस पर विश्वास करें या जीवन में इस सिद्धांत को लागू करें तो पर्यावरण में कोई समस्या नहीं होगी."