scorecardresearch

GenZ may hate calling: कॉल के बजाए मैसेज पर बात करना पसंद करती है जनरेशन ज़ेड, जानिए एक्सपर्ट क्या बताते हैं कारण

सर्वे के अनुसार इस उम्र के लोग सोशल मीडिया को ज्यादा पसंद करते हैं. और उनके फोन न उठाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि वे स्कैम या स्पैम कॉल से बचे रहना चाहते हैं. 

Representational Image (Unsplash/Alexander Andrews) Representational Image (Unsplash/Alexander Andrews)

क्या आपके साथ ही ऐसा होता है कि आपके फोन पर किसी का कॉल आए और फोन उठाने का दिल न हो? जनरेशन ज़ेड (Gen Z) के साथ तो ऐसा ही हो रहा है. एक नई रिसर्च ने खुलासा किया है कि जेन ज़ी (यानी 1996-2005 के बीच पैदा हुए लोग) या तो फोन को बजता हुआ छोड़ देते हैं या टेक्स्ट के जरिए उसका जवाब देते हैं.

क्या कहती है रिपोर्ट?
ब्रिटेन में किये गए यूस्विच के सर्वे के अनुसार, 18 से 35 साल तक की उम्र के लोग 23 प्रतिशत लोग कभी भी किसी के कॉल का जवाब नहीं देते. इनमें से 56 प्रतिशत लोगों को लगता है कि अचानक किसी का कॉल आने का मतलब है कि कोई बुरी खबर मिलने वाली है. सर्वे के अनुसार इस उम्र के लोग सोशल मीडिया को ज्यादा पसंद करते हैं. और उनके फोन न उठाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि वे स्कैम या स्पैम कॉल से बचे रहना चाहते हैं. 

उम्र के कारण बनी आदत
डॉक्टरों और विशेषज्ञों का मानना है कि इस आयु वर्ग के लोग कॉल पर बात करने की आदत नहीं बना पाए. बीबीसी के लिए यासमीन रुफो लिखती हैं कि जब उन्हें उनके 13वें जन्मदिन पर नोकिया का फ्लिप फोन मिला तो कॉल पर बात करना मैसेज भेजने की तुलना में महंगा था. यासमीन जैसे कई अन्य युवा अपने बजट को देखते हुए कॉल की जगह मैसेज करते थे. 

सम्बंधित ख़बरें

ईमेल, फेसबुक और फिर व्हाट्सऐप के उद्भव ने युवाओं की मुश्किलें और आसान कर दीं. इस तरह एक पूरी पीढ़ी कॉल के बजाय टेक्स्ट पर निर्भर रहने लगी. 

बीबीसी की एक रिपोर्ट डॉ एलीना तोरोनी के हवाले से कहती है, "युवा फोन पर बात करने की आदत नहीं बना सके, इसलिए अब यह थोड़ा अजीब लगता है." इसी रिपोर्ट में साइकोथेरेपिस्ट एलोइस स्किनर कहती हैं, "जैसे-जैसे हमारे जीवन व्यस्त होते जा रहे हैं, हमारे पास अपने दोस्तों को फोन करने का समय कम होता जा रहा है. अब फोन कॉल पर सिर्फ जिन्दगी से जुड़ी बहुत जरूरी बातें ही की जाती हैं." 

क्या कहते हैं जेन-ज़ी?
ब्रिटेन में रहने वाले 26 साल के जैक लॉन्गली इस बात से सहमत हैं. लॉन्गली कहते हैं, "यही बात है. फोन पर या तो ज्यादातर स्कैमर होते हैं या कोई स्कीम बेचने वाले. इसलिए कॉल इग्नोर करना ज्यादा आसान है." हालांकि फोन पर बात न करने का मतलब यह नहीं है कि युवा अपने दोस्तों के संपर्क में नहीं हैं. सोशल मीडिया, ग्रुप चैट और मैसेजिंग के बाद अब युवाओं ने आत्मीयता जताने का एक नया तरीका ढूंढ लिया है. वह है वॉइस नोट्स. 

फोन पर कॉल करना भले ही युवाओं को पसंद न हो, लेकिन वॉइस नोट इस आयु वर्ग के बीच प्रचलित होता जा रहा है. यूस्विच सर्वे में पाया गया कि 18-34 की उम्र के लोगों में से 37% वॉइस नोट्स को प्राथमिकता के साथ इस्तेमाल करते हैं. इसकी तुलना में 35 से 54 साल की उम्र के लोगों में सिर्फ एक प्रतिशत लोग कॉल के बजाय वॉइस नोट को पसंद करते हैं.