हरियाणा के रोहतक में महिलाओं की एक नाटक मंडली है जिसमें 14 साल की लड़की से लेकर अस्सी साल की बुजुर्ग महिलाएं तक शामिल हैं. यह हरियाणवी जागरूकता नाटक मंडली समाज में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, साफ सफाई को बढ़ावा देती है और दहेज प्रथा का कड़ा विरोध करती है. साथ ही, हरियाणा की संस्कृति और हरियाणवी पहनावे, खान-पान को बचाने में जुटी हुई है. यह मंडली शहर के पार्कों और कॉलोनियों में जा कर लोगों को जागरूक कर रही है.
खास बात यही है कि इस मंडली की बुजुर्ग महिलाएं अपने जीवन के अंतिम पढ़ाव पर है और वे कभी स्कूल भी नहीं गईं. लेकिन फिर भी समाज में बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसे अभियानों को बढ़ावा देकर लोगों को अपनी बेटियो को पढ़ाने के लिए जागरूक कर रही हैं.
हरियाणवी परिधान पहन करती हैं नुक्कड़ नाटक
जब ये बुजुर्ग महिलाएं अपने हरियाणवी परिधान पहनकर बाहर निकलती है तो इन्हे देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो जाती है. इतना ही नहीं बुजुर्ग महिलाएं नाच गा कर लोगो अपनी संस्कृति को बचाने के लिए भी प्रेरित करती हैं. हरियाणवी जागरूकता नाटक मंडली की एक अस्सी साल की महिला ने बताया कि वह कभी स्कूल नहीं गईं. लेकिन अब वह अपनी मंडली के साथ लोगों को बेटियो को पढ़ाने के लिए जागरूक करती हैं. बेटियो को पढ़ाना आज के समय में बहुत जरूरी है.
वहीं, मंडली की दूसरी महिलाओं ने भी यह बताया की जिस प्रकार से हरियाणा की संस्कृति, खान-पान और रहन-सहन विलुप्त हो रहा है, उस हरियाणवी संस्कृति को बचाने के लिए वे लोगो को पार्कों और कॉलोनियो में जा जा कर जागरूक कर रही हैं. बेटियो की अशिक्षा, शहर की गंदगी, और दहेज प्रथा जैसी अन्य जो भी कुरुतियां हैं उनके बारे में नाटक करती हैं. उनका कहना है कि लोग जागरूक भी हो रहे हैं और उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स कर रहे हैं.
(सुरेंद्र सिंह की रिपोर्ट)