गुजरात के जूनागढ़ में भक्त कवि नरसिंह महेता यूनिवर्सिटी की एक पीएचडी की शोधकर्ता छात्रा ने गिरनार के जंगल मे से मकड़ी की नई प्रजाति का अविष्कार किया है. लड़की ने इस मकड़ी का नाम गुजरात के ख्यातनाम कवि और श्री कृष्ण के परम भक्त नरसिंह महेता के नाम पर रखा है. मकड़ी का नाम पालपि मानुस नरसिंह महेताई Palpi manus narsinh mahetai रखा गया है.
काफी अलग होती है यह मकड़ी
जूनागढ़ की नरसिंह महेता यूनिवर्सिटी की पीएचडी छात्रा नम्रता हूणने ने गिरनार के जंगल मे घूमकर 150 से भी ज्यादा मकड़ी की प्रजातियो पर अभ्यास किया और विश्वमे सबसे अनोखी प्रजाति का अविष्कार किया है. नम्रता हुण ने ये रिसर्च यूनिवर्सिटी के zoology के प्रध्यापक डॉ जतीन रावल के मार्गदर्शन में की है. डॉ जतिन रावल ने बताया कि यह मकड़ी हल्के गहरे लाल रंगका गोलाकार सिर वाली होती है और शरीर पर रोंगटे होते हैं. यह मकड़ी विश्व मे पाई जानेवाली 49858 मकड़ियों में से सबसे अलग है. एक खास बात ये है कि इस मकड़ी के अगले पैर की जोड़ अन्य तीनों पैरो की जोड़ से ज्यादा मजबूत होते हैं.
नम्रता ने ढाई साल तक किया अभ्यास
वहीं गिरनार के जंगलों में दिन रात अभ्यास कर रही नम्रता हुणने मकड़ी पर अपने अभ्यास के बारे में बताया कि मकड़ी सामन्यतः पहाड़ो,पेड़ों, सूखे पत्तों ओर साग पेड़ की छाल में रहती है. इन्हें पर्यावरण कंट्रोल एजंट यानी कि पल्प फुटेड स्पाईडर भी कहा जाता है. ये एक ऐसा संशोधन है जो कि मकड़ी की विविध प्रजातियों पर खास तौर पर किया जाता है. नम्रता ने करीबन ढाई साल तक इस संशोधन अभ्यास किया और आखिर में उसे इसकी नई प्रजाति मिली जिसको उसने दी पल्प मानुस नरसिंह महेताई नाम दिया.
(जूनागढ़ से भार्गवी जोशी की रिपोर्ट)