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Manipuri Wedding Dress Potloi: मणिपुरी शादियों में पारंपरिक लिबास की जिम्मेदारी संभाल रही है यह 90 वर्षीया दादी, हाउसवाइफ से बनीं डिजाइनर

हंजबम राधे देवी को मणिपुर में मैतेई समुदाय की पारंपरिक दुल्हन पोशाक को सहेजने और अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने का श्रेय जाता है. वह पिछले कई सालों से मणिपुरी दुल्हनों को इस पोशाक में सजा रही हैं.

Hanjabam Radhe Devi Preserving Potloi Hanjabam Radhe Devi Preserving Potloi

हमारे देश में बहुत अलग-अलग संस्कृतियां हैं जिनकी विरासत को सहेजने की जिम्मेदारी हम सब पर है. मणिपुर की हंजबम राधे देवी ने भी अपनी संस्कृति को सहेजने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली. हंजबम को मणिपुरी विवाह परंपराओं को जीवित रखने में प्रमुख योगदान देने का श्रेय दिया जाता है. मणिपुर राज्य से आने वाली, 90 वर्षीय दादी दुल्हन डिजाइनर हैं जिन्होंने पोलोई परंपराओं को जीवित रखा है. यह एक देशी दुल्हन का पहनावा है, पोलोई में एक बेलनाकार स्कर्ट, एक ब्लाउज, कमर के चारों ओर बुनी गई बेल्ट और एक हल्की मलमल शॉल शामिल है. 

हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा की मणिपुरी अभिनेत्री और मॉडल लिन लैशराम से शादी के बाद यह पारंपरिक पोशाक काफी चर्चा में है. इस खूबसूरत जोड़े ने 30 नवंबर को इम्फाल में पारंपरिक मैइती समुदाय रीति-रिवाजों के साथ शादी की. इस शादी में दुल्हन को पोलोई पहने हुए देखा गया. 

हंजबम राधे देवी और पोलोई का रिश्ता
प्यार से अबोक राधे के नाम से मशहूर हंजबम की उम्र महज 15 साल थी जब वह शादी के बंधन में बंधी थी. वह एक गृहिणी थी लेकिन हमेशा से अपना कोई काम करना चाहती थीं. उनके अंदर का डिजाइनर 25 साल की उम्र में अपने पड़ोसी की मदद करने के लिए सामने आया. उन्होंने रास लीला कार्यक्रम के लिए महज पांच दिनों में उनकी बेटी के लिए पोशाक डिजाइन की थी. 

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पोलोई बेचने का अपना छोटा सा व्यवसाय शुरू करने पर, उन्हें शुरू में प्रति पोशाक 500 रुपये कमाती थीं. वह खंबा-थोइबी नृत्य के लिए पोशाकें भी बनाती हैं. यह नृत्य एक लोकप्रिय मणिपुरी किंवदंती पर आधारित है. साल 2021 में, देवी को पारंपरिक पोलोई पोशाक के संरक्षण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

पोलोई क्या है?
Potloi या Polloi पोशाक बेलनाकार होती है जो दुल्हन के पहनने से कुछ घंटे पहले बनाई जाती है. यह बांस और कपड़े से बनाई जाती है. इसके साथ ही दुल्हन को अन्य पारंपरिक आभूषण और सिर पर भी एक पोशाक पहनाई जाती है. हाल ही में मणिपुर की एक्ट्रेस और मॉडल लिन लैशराम ने अपनी शादी में यह पारंपरिक परिधान पहना था.

यह पोशाक काफी विस्तृत होती है. मुद्रित कपड़े और हथकरघा कपड़े से बने स्कर्ट के साथ, मखमल से बना एक शीर्ष, कमर के चारों ओर बंधा हुआ एक पतला मलमल का कपड़ा, माला और मोर पंखों से सजी विस्तृत हेडड्रेस है. देवी का योगदान सिर्फ रचनात्मक कार्यों तक ही सीमित नहीं है वह महिला सशक्तिकरण को लेकर बहुत उत्साहित हैं और स्थानीय संगठनों से जुड़ी हुई हैं. देवी ने राज्य में नशाखोरी और महिला रोजगार जैसे मुद्दों पर भी जागरूकता पैदा की है.