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Happiness Tips: हैप्पीनेस के एक्सपर्ट से जानें खुश रहने के टिप्स... जानिए क्या हैं तीन मंत्र

राजेश जी ने हैप्पीनेस इंडेक्स की मैथडोलॉजी और डेटा में कई समस्याएं बताईं. उन्होंने कहा कि हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत की रैंकिंग सही नहीं है क्योंकि इसमें मैथडोलॉजी और डेटा दोनों में इश्यू हैं.

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कुछ समय पहले रिलीज हुई World Happiness Report 2025 की लिस्ट में भारत की रैंक 147 देशों में 118वीं है. इस बात को लेकर देशभर में चर्चा है. बहुत से लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं. इस बारे में गुड़गांव बेस्ड हैप्पीनेस एक्सपर्ट डॉ. राजेश के. पिलानिया से बात की गई. 

पिछले 15 सालों से हैपीनेस पर रिसर्च कर रहे राजेश ने हैप्पीनेस के तीन मंत्र बताए: 'लाइफ एन्जॉय करो, दूसरों की हेल्प करो, और स्पिरिचुअल रहो.' उन्होंने कहा कि यह मंत्र जीवन को खुशहाल बनाने में मदद करते हैं. 

हैप्पीनेस इंडेक्स पर चर्चा
राजेश जी ने हैप्पीनेस इंडेक्स की मैथडोलॉजी और डेटा में कई समस्याएं बताईं. उन्होंने कहा कि हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत की रैंकिंग सही नहीं है क्योंकि इसमें मैथडोलॉजी और डेटा दोनों में इश्यू हैं. उन्होंने बताया कि यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट नेटवर्क द्वारा बनाई गई इस लिस्ट में 1000 लोगों से एक क्वेश्चन पूछा जाता है और उसका औसत निकाला जाता है. उन्होंने कहा कि इसमें आत्म-निरीक्षण होता है और अलग-अलग देशों में हैप्पीनेस यानी खुशहाली की परिभाषा अलग-अलग होती है. 

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स्पिरिचुअलिटी और हैप्पीनेस
राजेश जी ने बताया कि स्पिरिचुअलिटी और रिलिजन हैप्पीनेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा, 'इंडिया में स्पिरिचुअलिटी और रिलिजन बहुत स्ट्रॉन्ग हैं और यह हमें जीवन का एक अच्छा मतलब ढूंढने में मदद करते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि हमारे तीज त्यौहार और पॉज़िटिविटी हमारे जीवन में हैप्पीनेस लाते हैं.

हैप्पीनेस के प्राइमरी सोर्स
डॉ. राजेश ने बताया कि हैप्पीनेस के प्राइमरी सोर्सेज में हमारी जेनेटिक्स, एनवायरनमेंट और हमारी खुद की चॉइस शामिल हैं. उन्होंने कहा कि अगर हम एक पॉज़िटिव एनवायरनमेंट में रहते हैं, तो यह हमारी हैप्पीनेस को इन्फ्लुएंस करता है. 

राजेश ने बताया कि उन्हें म्यूजिक पसंद है और वह बॉलीवुड सॉन्ग्स सुनते हैं. उन्होंने कहा कि खुश रहने के लिए वह कभी-कभी गुनगुनाते हैं या कुछ सुनते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जब वह लो फील करते हैं, तो वह लॉन्ग वॉक पर जाते हैं, अच्छा फूड खाते हैं या अपने पेरेंट्स और दोस्तों से बात करते हैं. ये सब चीजें अपनाकर दूसरे भी खुश रह सकते हैं या फिर वे खुश रहने का अपना तरीका ढूंढ सकते हैं.