8 मार्च को आज पूरी दुनिया "महिला दिवस" पूरे जोर शोर से मना रही है. आज का दिन महिलाओं की उपलब्धियों और उनके जज्बे को समर्पित होता है. हर साल आज ही के दिन इंटरनेशनल विमेंस डे का जश्न मनाया जाता है. हर साल इसकी थीम अलग होती है. इस बार यानी इंटरनेशनल विमेंस डे 2022 की थीम ‘जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमॉरो’ यानी मजबूत भविष्य के लिए लैंगिक समानता जरूरी है. वहीं बीते साल 2021 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम "महिला नेतृत्व: कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना" ("Women in leadership: an equal future in a COVID-19 world") रखी गई है. इस बार इंटरनेशनल विमेंस डे अपने 104वें साल में एंट्री ले रहा है ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि इसकी शुरूआत कब और कैसे हुई थी.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरूआत साल 1908 में 15000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक विशाल जुलूस निकाल कर की थी. इन महिलाओं ने अपने काम करने के घंटों को कम करने, बेहतर तनख्वाह और वोट डालने जैसे अपने अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई शुरू की थी तो, इस आंदोलन से तब के समाजिक दौर की सभ्य समाज में महिलाओं की हकीकत सामने आई थी. और आज भी महिलाओं की उसी समाजिक स्थिती को सुधारने और महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए ये दिन मनाया जाता है.
सबसे पहले 28 फरवरी 1909 को मनाया गया
सबसे पहले अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर इस दिवस को 28 फरवरी 1909 में मनाया गया है. बाद में 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया. महिलाओं के इस आंदोलन को बड़ी कामयाबी मिली.
इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का आइडिया आया कहां से?
ये आइडिया एक महिला का ही था. क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया. उस वक़्त कॉन्फ़्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाएं मौजूद थीं. उन सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया.
सबसे पहले साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था. लेकिन तकनीकी तौर पर इस साल हम 109वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं.
1975 में महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता उस वक्त दी गई थी जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे सलाना तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम थी 'सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फ़ॉर द फ्यूचर.'
महिला दिवस के लिए 8 मार्च ही क्यों
रूस की महिलाओं ने ब्रेड एंड पीस की मांग को लेकर 1917 में हड़ताल की थी. ये हड़ताल फरवरी के आखिरी रविवार को शुरू हुई और यह एक ऐतिहासिक हड़ताल साबित हुई. जब रूस के जार ने सत्ता छोड़ी तब वहां की अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया.
आज के दिन महिलाओं को खास अहसास
यूं तो हर महिला अपने आप में खास होती है. महिलाएं हर किरदार में हम सब की जिंदगी में अहम भूमिका भी निभाती हैं. कभी मां के रूप में तो कभी बहन के रूप में, तो कभी एक पत्नी के रूप में हर दिन खास बनाती है वो महिला ही है. इन सभी महिलाओं को आज यानी 8 मार्च को खास एहसास कराने के लिए ये दिन मनाया जाता है. ताकि हर महिला अपने वजूद का एहसास कर सके और इतना ही नहीं अपने अधिकार के लिए लड़ भी सके.