दिल्ली से सटे हरियाणा में बहादुरगढ़ के पास एक गांव है - सांखोल. यह गांव देश के दूसरे गांवों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है. यह गांव साफ-सफाई से लेकर पर्यावरण संरक्षण से लेकर शिक्षा तक, हर क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहा है. सबसे अच्छी बात है कि इस कामयाबी के पीछे प्रशासन नहीं बल्कि यहाँ के आम लोग हैं.
जी हां, इस गांव की तस्वीर गांव के लोगों ने मिलकर बदली है. गांव के कुछ जागरूक नागरिकों की ओर से शुरू की गई संघर्षशील जनकल्याण सेवा समिति एक के बाद एक मुद्दे पर काम करके गांव को प्रगति की ओर ले जा रही है.
गरीब बच्चों के लिए खोला बुक बैंक
समिति के सदस्य, मनीष चाहर ने GNT Digital से बात करते हुए कहा कि साल 2020 में समिति ने गांव में फ्री बुक बैंक शुरू किया. इस निशुल्क बुक बैंक से 1000 से ज्यादा बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं और 3700 से ज्यादा किताबें फ्री में दी जा चुकी है. मनीष कहते हैं कि इस बुक बैंक में स्कूल के अलावा सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी किताबें उपलब्ध हैं. समय-समय पर बच्चे इन किताबों से पढ़ाई करते हैं.
इस बुक बैंक से न सिर्फ गांव के बल्कि आसपास के खंड और जिलों के बच्चे भी किताबें लेने आते हैं. बहादुरगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण प्रवासी काफी संख्या में यहां काम करते है. ऐसे में, उनके बच्चों को समय पर निशुल्क किताबें मिल जाएं तो वे बच्चे भी भविष्य में नाम कमा सकते है. इसलिए समिति की कोशिश है कि बुक बैंक में बच्चों की जरूरत की ज्यादा से ज्यादा किताबें हों.
खास मौकों पर लोग कर सकते हैं किताब दान
मनीष चाहर का कहना है कि गांव के बहुत से लोगों ने इस बुक बैंक को सफल बनाने में योगदान दिया है और समिति के सदस्य सबसे यही अपील करते हैं कि अगर किसी का भी जन्मदिन, शादी की सालगिरह हो, तो कोई भी दानी सज्जन उन्हें किताबों का दान दे सकता है. उनका कहना है कि जिसके पास ज्यादा हो वे किताबें दे जाएं और जरूरतमंद आकर ले जाएं. किताबों के दान से एक शिक्षित और सभ्य समाज के निर्माण में सभी अपना योगदान दे सकते हैं.
उनका नारा है किताबों का दान करें, भावी पीढ़ी का निर्माण करें. लोग उन्हें पहली क्लास से लेकर B.Tech तक की किताबें दान में दे चुके हैं जो बहुत से बच्चों के काम आ रही हैं. समिति की अपील है कि आप अपने बच्चे की पुरानी किताबें चाहें किसी भी क्लास की हों, उन्हें रद्दी में देने की बजाय सांखोल के बुक बैंक में दान कर सकते हैं. अगर आप कहीं दूर रहते हैं तो अपने आसपास ही किसी जरूरतमंद को दान कर दें, इससे किसी का भविष्य ही सुधरेगा.
साफ-सफाई, पौधारोपण पर ध्यान
मनीष कहते हैं कि उनकी समिति का उद्देश्य अपने गांव को एक आदर्श गांव बनाना है जो लोगों के लिए मिसाल हो. इसलिए समय-समय पर गांव वाले खुद ही अलग-अलग अभियान चलाते हैं. जैसे ज्यादातर रविवार को गांव के लोग सभी सार्वजिनक स्थानों जैसे चौपाल, गलियों और रास्तों से लेकर सरकारी स्कूल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनवाड़ी और शमशान भूमि की साफ-सफाई करते हैं. जितना हो सके गांव में कचरा प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही, समय-समय पर गांव में पौधोरोपण करके पेड़-पौधों की देखभाल भी की जाती है.
इस समिति ने गांव में पॉलिथीन और प्लास्टिक के इस्तेमाल को भी बहुत हद तक रोका है. गांव में डेंगू जैसी बीमारियों से बचने के लिए समय-समय पर दवाई का छिड़काव किया जाता है. कहीं पानी भरा रहे तो तुरंत इस पर काम किया जाता है. इस सबके अलावा वे और भी कई समस्याओं पर मिलकर काम कर रहे हैं. मनीष ने बताया कि इस समिति की शुरुआत गांव के पढ़े-लिखे और नौकरी-पेशा करने वाले चंद युवाओं से हुई थी. लेकिन आज गांव से हर उम्र के लोग इस समिति से जुड़कर गांव की प्रगति में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.