scorecardresearch

15 साल, 50,000 बेजुबान ज़िंदगियां... पशु-पक्षियों के लिए मसीहा से कम नहीं यह वेटरनरी डॉक्टर

विक्रम वर्मा की यह सेवा तब शुरू हुई जब उन्होंने पहली बार कुछ घायल जानवरों को देखा और उन्हें इलाज के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ले गए.

Representational Image Representational Image

हरियाणा के हिसार जिले में कुछ ऐसे लोग हैं जो बिना किसी लालच के बीते 15 सालों से घायल जानवरों और पक्षियों की सेवा कर रहे हैं. हिसार में आर्य नगर के पशु चिकित्सक विक्रम वर्मा ने इस नेक काम की शुरुआत की थी. उन्होंने अब तक करीब 50,000 जानवरों और पक्षियों को बचाया और उनका इलाज किया है. 

विक्रम वर्मा की यह सेवा तब शुरू हुई जब उन्होंने पहली बार कुछ घायल जानवरों को देखा और उन्हें इलाज के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ले गए. तब से उन्होंने तय कर लिया कि वे जरूरतमंद जानवरों के लिए खाना, पानी और इलाज की व्यवस्था करेंगे. अब उनके साथ सात लोगों की एक समर्पित टीम है. 

गांव-गांव जाकर करते हैं इलाज 
विक्रम और उनकी टीम शहर के आसपास के कई गांवों जैसे आर्य नगर, बालसमंद, शाहपुर, टोकस पाटन, धीरनवास, चौधरीवास, शीशवाल, हिंदवालान में जाकर घायल जानवरों और पक्षियों की मदद करती है. ये लोग कुत्ते, बिल्ली, गाय, भैंस, तोते, कबूतर, गिलहरी, उल्लू, बंदर और खरगोश जैसे जानवरों का इलाज करते हैं. टीम खुद अपने खर्च से दवाएं खरीदती है और गंभीर रूप से घायल जानवरों को आर्य नगर के एक अस्थायी आश्रय गृह में लाकर इलाज करती है. 

सम्बंधित ख़बरें

यह टीम कैंसर जैसे गंभीर रोग से पीड़ित कुत्तों का ऑपरेशन भी कराती है. भूखे जानवरों को खाना और चारा भी दिया जाता है. विक्रम वर्मा का एक संकल्प है- “कोई भी जानवर भूख से न मरे.” इस सेवा में विक्रम के माता-पिता भी उनका भरपूर साथ दे रहे हैं. उनकी टीम में सोमदत्त, अनीता, रवि, नितीश, मनीष और धारा शामिल हैं, जो बिना थके जानवरों की मदद में जुटे रहते हैं. 

बिना सरकारी मदद चल रहा काम 
गांव के सरपंच रतन सिंह और हिसार के जिला पार्षद सत्यनारायण ने भी विक्रम वर्मा की जमकर सराहना की है. उनका कहना है कि विक्रम बिना किसी सरकारी मदद के यह काम कर रहे हैं. यहां तक कि वे खुद खाना तभी खाते हैं जब पहले कुत्तों को खाना खिला दें. आगे यह ग्रुप चाहता है कि हरियाणा सरकार हिसार में घायल और बेसहारा जानवरों के लिए एक स्थायी आश्रय गृह बनाए, ताकि इन मासूम जीवों को बेहतर देखभाल मिल सके.