दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्लामिक शहर होने के साथ बगदाद इराक की राजधानी भी है. बगदाद की स्थापना 30 जुलाई 762 ईसवी में अब्बासिद डायनेस्टी ने की थी. इस शहर ने अरब और इस्लामी समाज में अहम भूमिका निभाई है. देखते ही देखते बगदाद इस्लामिक सभ्यता और संस्कृति का मुख्य केंद्र बन गया. बगदाद को शांति का शहर भी कहा जाता है.
बगदाद का नाम कैसा पड़ा यह अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन कहा जाता है कि बगदाद शब्द पर्शियन भाषा से आया है. परशियन भाषा में बग का अर्थ है भगवान और दाद का अर्थ दिया हुआ जिससे बगदाद का मतलब हुआ 'भगवान का दिया हुआ'. बगदाद मेसोपोटामिया के बीचों बीच टिगरिस नदी पर स्थित है जिसे 762 इसवीं में कालिख अल- मनसुर ने स्थापित किया था. इस शहर को सिटी ऑफ पिस के नाम से भी जाना जाता है और यह मिडिल ईस्ट के सबसे बड़े शहरों में से एक है.
8 वीं से 13 वीं शताब्दी के बीच बगदाद सांस्कृतिक शिक्षा और व्यापार का मुख्य केंद्र था लेकिन 1258 में मंगोल डायनेस्टि के बाद शहर ने धीरे- धीरे अपनी शोहरत को खो दी. लेकिन कई युद्ध, आतंकी हमलों, आर्थिक नुकसान और राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद बगदाद ऐतिहासिक महत्ता को संजोए हुए है.
बगदाद का इतिहास
बगदाद के सफर में काफी उतार चढ़ाव रहे हैं. 762 ई. का यह समय बगदाद के लिए एक गोल्डन पीरियड साबित हुआ था और इस दौर में यह शहर संस्कृति, व्यापार शांतिप्रिय देश के नाम से जाना जाता था. अब्बासिद खलीफाओं ने इस्लामी सभ्यता को बढ़ावा देते हुए बगदाद को इतना सक्षम बना दिया था कि वह वैज्ञानिक, दार्शनिक और साहित्यिक उन्नति का केंद्र बन गया. लेकिन 1258 में जब मंगोल राजा हुलागु खान ने बगदाद के राजा अब्बासिद खलीफा का अंत कर मंगोल राज को स्थापित किया तो तस्वीर पूरी तरह से बदल गई. यह दौर बगदाद को उसके अंत की तरफ ले जा रहा था.
मंगोल राज के बाद बगदाद ओटोमन शासन से गुजरा और इसी के साथ उसके बर्बादी का सिलसिला शुरू हो गया. 20 वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिशों ने इराक को अपने कंट्रोल में ले लिया और बगदाद इराक की राजधानी बन गया.
1932 वह साल था जब ईरान ने अपनी राजधानी बगदाद के साथ चैन की सांस ली. साल 1932 बगदाद की आजादी का साल था और 20 वीं और 21वीं सदी की शुरुआत तक बगदाद ने राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध और आतंकवाद के चलते कई मुश्किलों का सामना किया और खुद को बेहतर बनाने में डटा रहा.
आज का बगदाद
इतिहास में हुए कई हादसों और आतंकी हमलों के बाद बगदाद फिर से उठने की कोशिशों में लगा हुआ है और बदलाव का दौर जारी है. हालांकि 2000 में हुई हिंसा के बाद बगदाद की सुरक्षा पर काफी ध्यान दिया जा रहा है लेकिन वहां के सांप्रदायिक विभाजन और बाहरी दबाव के कारण राजनीतिक स्थिति अभी भी डामाडोल है. शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खास ध्यान दिया जा रहा है लेकिन बेरोजगारी, करप्शन, बिजली और पानी की समस्या अभी भी बनी हुई है. इन सभी परेशानियों के बावजूद बगदाद अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सभ्यता को संजोए रखने की कोशिशों में जुटा हुआ है.
मुस्लिम धर्म में बगदाद के मायने
दुनिया भर में मुस्लिम लोगों के लिए बगदाद ऐतिहासिक और खास महत्व रखता है और इसके कई कारण हैं जैसे बगदाद इस्लामी गोल्डन पीरियड का मुख्य केंद्र था. गोल्डन पीरियड वह समय था जब मुस्लिम विद्वानों ने गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, दर्शन और साहित्य जैसे क्षेत्रों में अपना योगदान दिया. यहां इस्लामी न्यायशास्त्र और धर्मशास्त्र को आकार देने वाले कई इस्लामी विद्वान और फिलोसफर ने जन्म लिया. फिलहाल कई चुनौतियों से लड़ने के बावजूद बगदाद इस्लामी एकता और विरासत का प्रतीक माना जाता है. बगदाद में मक्का या मदीना जैसे पवित्र शहर भले ही न हों लेकिन दुनिया के सभी मुसलमान इसे इस्लामी शिक्षा और संस्कृति के रूप में पूजते हैं.