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History of Aamras: गुजरात या महाराष्ट्र? आखिर किस राज्य की देन है आमरस, ये है दुनिया की टॉप Mango Dish

आमरस मराठी और गुजराती घरों में बनने वाला खास व्यंदन है. पिछले कुछ समय में यह राजस्थान में भी पॉपुलर हुआ है. महाराष्ट्र और गुजरात के लिए तो गर्मी के मौसम का मतलब है आमरस. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं आमरस की कहानी.

History of Aamras History of Aamras

आम और भारतीयों का अटूट रिश्ता है. भारत में आम सिर्फ फल के तौर पर नहीं बल्कि इससे अलग-अलग व्यंजन बनाकर खाए जाते हैं. अगर आप आम से बनने वाले भारतीय व्यंजनों की बात करेंगे तो मैंगो शेक, मैंगो लस्सी से लेकर आमरस, आम पन्ना और चटनी तक, बहुत सी डिशेज के नाम गिना दिए जाएंगे. लेकिन दुनिया भर के स्थानीय व्यंजनों पर अपनी आलोचनात्मक समीक्षाओं और शोध के लिए मशहूर ऑनलाइन फूड और ट्रैवल गाइड TasteAtlas की लिस्ट में आम से बनने वाली टॉप 10 डिशेज में आमरस का नाम सबसे ऊपर है. 

मलाईदार आमरस, एक लोकप्रिय व्यंजन टॉप पर है, जबकि आम की चटनी इस लिस्ट में पांचवें स्थान पर रही. आमरस का नाम सुनते ही लोगों के मन में गुजरात और महाराष्ट्र का नाम आता है. हालांकि, अभी तक इस बात पर संशय है कि आमरस पहले किस राज्य ने दिया गुजरात या महाराष्ट्र? आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं आमरस की कहानी. 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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आमरस की उत्पत्ति:
आम को भारत में अक्सर "फलों का राजा" कहा जाता है, यहां के लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है. आमरस की उत्पत्ति को लेकर गुजरात और महाराष्ट्र के बीच अक्सर बहस होती है. बताया जाता है कि दोनों राज्यों में आम का अच्छा उत्पादन होता है. भले ही आम की वैरायटी अलग-अलग हों, लेकिन यहां के आम और आमरस दुनियाभर में मशहूर है. लेकिन किस राज्य में यह पहले बना इस पर संदेह है. इस पर कुछ लोग कहते हैं कि आमरस के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे अच्छी क्वालिटी वाले आम, हापुस (जिसे अल्फांसो आम के रूप में जानते हैं), तटीय महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जिले के देवगढ़ में उगाए जाते हैं. 

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कहते हैं कि हापुस के लिए दूसरी सबसे अच्छी जगह रायगढ़ है और यह भी महाराष्ट्र में है. इसके अलावा, आमरस पीढ़ियों से ग्रीष्मकालीन महाराष्ट्रीयन भोजन का एक हिस्सा रहा है. बहुत से लोगों का कहना है कि महाराष्ट्र के लोग आमरस बनाते समय कभी भी दो प्रकार के आमों को नहीं मिलाते हैं, लेकिन गुजराती ऐसा कर सकते हैं. गुड़ी पड़वा पर अधिकांश महाराष्ट्रियन घरों में आमरस पूरी और श्रीखंड पूड़ी के साथ सूखी आलू भाजी (हल्दी में तले हुए आलू) खाई जाती है. महाराष्ट्रीयन घरों में अक्षय तृतीया के त्योहार पर आमरस बनता है. 

साथ ही, महाराष्ट्र में आमरस घरों में बनाया जाता है. जबकि गुजरात में आपको यह बाहर बाजार में मिल जाता है. गुजरात में आमरस बनाते समय दूध का भी इस्तेमाल कर लिया जाता है. जबकि महाराष्ट्र में सिर्फ आम का पल्प ही इस्तेमाल करते हैं. इसलिए बहुत से लोग इसी पक्ष में हैं कि आमरस की उत्पत्ति महाराष्ट्र में पहले हुई और फिर यह गुजरात पहुंचा.  

आमरस का है सांस्कृतिक महत्व:
अपनी पाक अपील के अलावा, आमरस का भारत में गहरा सांस्कृतिक महत्व है, खासकर गर्मियों के त्योहारी सीजन के दौरान. आम, एक मौसमी फल है, जिसका हर साल बेसब्री से इंतजार किया जाता है, यह गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है और प्रचुरता और समृद्धि का प्रतीक है. आमरस त्योहारों के दौरान और विशेष रूप से महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा  के शुभ अवसर पर बनता है. इसके अलावा, आमरस सिर्फ एक व्यंजन नहीं है बल्कि यह परिवारों और समुदायों को एक साथ लाता है. 

स्वाद के साथ-साथ यह सेहत के लिए भी अच्छा है. आम विटामिन ए और सी, एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो इम्यून हेल्थ, पाचन और स्किन को बेहतर करते हैं. आमरस सिर्फ पाककला नहीं बल्कि भारत की समृद्ध विरासत का उत्सव है.