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History of Dal Dhokli: पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी से जुड़ी हैं दाल ढोकली की जड़ें, जानिए इसकी खट्टी-मीठी कहानी

आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं कहानी दाल ढोकली की. दाल ढोकली गुजराती डिश है जो गुजरात के साथ-साथ राजस्थान में भी बनाई जाती है और अब दूसरे इलाकों में भी पहुंच रही है. जानिए इस ऐतिहासिक डिश के बारे में.

History of Dal Dhokli (Photo: Pinterest/@naturallynidhi) History of Dal Dhokli (Photo: Pinterest/@naturallynidhi)
हाइलाइट्स
  • पृथ्वीराज और संयोगिता से जुड़ा है किस्सा

  • 'Afternoon Ladies Lunch' है दाल ढोकली 

जब भी बात खाना बनाने की आती है तो ज्यादातर यह काम घर की महिलाओं के जिम्मे आता है. और सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जो औरतें अपने परिवार और रिश्तेदारों को छप्पन भोग बनाकर खिला सकती हैं, उन्हें अगर अपने लिए कुछ बनाना हो तो बस कुछ भी हल्का सा बनाकर खा लेती हैं. क्योंकि औरतें दूसरों के लिए बनाकर इतना थक चुकी होती हैं कि खुद के लिए वह सबसे सिंपल डिश बनाती हैं. 

इन साधारण सी कम समय में बनने वाली डिशेज में खिचड़ी, दही-चावल के साथ-साथ एक बहुत ही कमाल की डिश शामिल होती है. और इस डिश का नाम है दाल ढोकली. जी हां, वैसे तो यह डिश गुजराती क्यूज़ीन का हिस्सा है लेकिन देश के अलग-अलग इलाकों में इसके की वर्जन आपको मिल जाएंगे. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं कहानी दाल ढोकली की, जिसकी जड़ें आम गृहिणियों से लेकर राजघराने तक से जुड़ी हैं. 

पृथ्वीराज और संयोगिता से जुड़ा है किस्सा
पीढ़ियों से दाल ढोकली गुजरात की संस्कृति और विरासत का हिस्सा रही है. यह एक प्रमुख व्यंजन है जो गुजरात में छोटे से  लेकर बड़े से बड़े घरानों का हिस्सा है. दाल ढोकली की उत्पत्ति भी इस व्यंजन की तरह ही दिलचस्प है. कहते हैं कि जब दिल्ली के राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान, कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता को उनके स्वंयवर से भगाकर लाए तो उनके पीछे न सिर्फ कन्नौज की सेना बल्कि मोहम्मद गौरी की सेना भी थी. उस समय तक मौहम्मद गौरी ने हिंदुस्तान में अपने पांव जमाना शुरू कर दिया था और पृथ्वीराज उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़े थे. 

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उस समय अजमेर राज्य की घेराबंदी कर दी गई थी और राज्य में ताजी सब्जियों और मांस आदि की सप्लाई बंद हो गई. बताया जाता है कि  महल की राजसी रसोई में एक बूढ़ा रसोइया हुआ करता था, जो इस बात से बहुत परेशान था. क्योंकि राजपरिवार को एक पोषण से भरा खाना परोसना उनकी जिम्मेदारी थी. और जब नई महारानी महल में आयी हों तो वह कैसे कुछ अच्छी न बनाते. तब उस बुद्धिमान रसोइये ने सोचा कि जो कुछ भी दालें उपलब्ध हैं, उन्हें बची हुई रोटियों के साथ मिलाया जा सकता है और इस एक्सपेरिमेंट से दाल ढोकली का एक बहुत ही प्रारंभिक संस्करण सामने आया. जो समय के साथ-साथ मॉडिफाई होती रही और इसने वर्तमान स्वरूप ले लिया. 

'Afternoon Ladies Lunch' है दाल ढोकली 
दाल ढोकली ऐतिहासिक डिश होने के साथ-साथ घर की औरतों के लिए बहुत खास डिश है. कॉमेडियन भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया के साथ, 'LOL पॉडकास्ट' के एक एपिसोड में बात करते हुए मशहूर शेफ, रनवीर बरार ने बताया कि दाल ढोकली सेहत और स्वाद का परफेक्ट कॉम्बिनेशन है. जी हां, दाल ढोकली खाने में जितनी स्वाद होती है उतनी ही हेल्द के लिए अच्छी होती है. भारती सिंह ने उन्हें बताया कि गुजराती खानों में दाल ढोकली उनकी फेवरेट है और उन्हें लगता है कि किसी आलसी बंदे ने यह डिश बनाई है. इस पर रनवीर बरार ने कहा कि यह एक्चुअली कुछ ऐसे ही है. 

रनवीर ने कहा कि दाल ढोकली 'Afternoon Ladies Lunch' है. यह वह टाइम होता है जब परिवार के ज्यादातर लोग बाहर होते थे और औरतें घर में होती थी. ऐसे में, वह सोचती थीं कि अपने लिए कुछ खास क्या बनाना बल्कि फटाफट कुछ बनाकर काम खत्म करती थीं. और बहुत बार आस-पड़ोस की चार-पांच महिलाएं मिलकर किसी एक के घर पर दाल-ढोकली बनाती और एन्जॉय करती थीं. 

हालांकि, अब दाल-ढोकली गुजरात की गलियों से निकलकर देश के कई कोनों में पहुंच चुकी है और इसके अलग-अलग वर्जन आपको मिल जाएंगे जैसे सामान्य गुजराती दाल ढोकली खट्टी-मीठी होती है, वहीं, काठियावाड़ में बनने वाली दाल ढोकली को खूब तीखा बनाया जाता है. राजस्थान में मसालों के साथ बड़े ही दिलकश स्वाद की दाल ढोकली बनती है. वहीं, कुछ हेल्द एक्सपर्ट्स ग्लुटन-फ्री मिलेट्स दाल ढोकली बनाने लगे हैं.