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History of Laddu: कभी बीमारियों के इलाज के लिए हुआ था लड्डू का ईजाद, आज है पूरे देश की पसंदीदा मिठाई

लड्डू किसे पसंद नहीं होते हैं और भारत में हर जगह अलग-अलग तरह के लड्डू बनते हैं. कहीं गोंद के लड्डू तो कहीं बेसन के. दक्षिण में नारियल के लड्डू तो उत्तर में आटे के. पर क्या आपको पता है कि लड्डू कभी दवाई हुआ करते थे.

जानिए लड्डू का इतिहास जानिए लड्डू का इतिहास
हाइलाइट्स
  • बीमारी ठीक करने के लिए बना था लड्डू

  • पौराणिक ग्रंथों में भी है जिक्र 

आप चाहे किसी भी मिठाई की दुकान पर जाएं, आपको लड्डू तो मिलेंगे ही मिलेंगे. अब सच है या झूठ लेकिन लड्डू हर किसी की पसंदीदा मिठाई है. मोतीचूर के लडडू, बेसन के लडडू, बूंदी के लडडू से लेकर तिल लडडू या नारियल लडडू तक, तरह-तरह से लड्डू हमारे यहां बनाए और खाए जाते हैं.  

लेकिन क्या आपको पता है कि लड्डू की उत्पत्ति की कहानी क्या है? वैसे तो इसका कोई ठोस इतिहास नहीं है, लेकिन लड्डू की खोज के पीछे कुछ दिलचस्प कहानियां हैं. 

बीमारी ठीक करने के लिए बना था लड्डू
कुछ जानकारों के मुताबिक, लड्डू का इतिहास 300-500 ईसा पूर्व का माना जा सकता है. कहा जाता है कि इसे प्राचीन भारतीय चिकित्सक सुश्रुत ने गलती से खोजा था. उन्होंने मरीजों को परोसे जाने वाले कड़वे जड़ी-बूटी के मिश्रण में लड्डू का इस्तेमाल किया था. उन्होंने आसानी से सेवन करने और खुराक को अलग-अलग रखने के लिए अपने ऑपरेशन वाले मरीजों को लड्डूओं के रूप में एंटीसेप्टिक दवाएं दीं. आयुर्वेद ग्रंथों में गुड़ या शहद/तिल, मूंगफली, अदरक पाउडर, अजवाइन, मेथी के बीज, कमल के बीज के साथ बनी छोटे गोल लड्डू का उल्लेख देखा जा सकता है.

ईस्ट हाइलैंड्स की एक दंतकथा में लड्डू की उत्पत्ति का दावा किया गया है. बताया गया है कि उनके एक प्रशिक्षु सहायक ने दवा में गलती से जरूरत से ज्यादा घी डाल दिया और फिर इसे छोटे गोल-गोल गोले का रूप दे दिया. इन लड्डूओं को खुराक के रूप में दिया जाना शुरू किया. इससे मरीज़ों और चिकित्सकों का जीवन सरल बन गया. 

और भी कई कहानियां हैं प्रचलित
दूसरी ओर, नारियल का लड्डू, जिसे नारियाल नाकरू के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण से आता है, विशेष रूप से चोल शासन काल से. ऐसा कहा जाता है कि यात्रा या युद्ध के लिए निकलते समय यात्री और सैनिक इन लड्डुओं को पैक करके ले जाते थे ताकि खाना आसान रहे.

लेकिन आज हम जिस मीठे लड्डू को जानते हैं वह बाद के प्रयोगों का परिणाम है. एक बार जब मिश्रण में चीनी शामिल हो गई, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा गया. इससे न केवल लड्डू की मिठास बढ़ी, बल्कि यह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय भी हो गया. यह परिवर्तन ब्रिटिश काल के आसपास आया.

पौराणिक ग्रंथों में भी है जिक्र 
लड्डू का कनेक्शन भगवान गणेश और भगवान कृष्ण से भी माना जाता है. पौराणिक ग्रंथों में भी लड्डू का उल्लेख किया गया है, हालांकि यह उस मिठाई के समान नहीं है जिसे हम अभी जानते हैं. हम सभी मोदक और भगवान गणेश के इसके प्रति प्रेम से परिचित हैं. 

किंवदंतियों के अनुसार, भगवान कृष्ण की मां गणेश भक्त थीं. उन्होंने मोदक का लड्डू गोपाल बनाए. लोककथाओं के अनुसार, वह भगवान कृष्ण को मिठाइयां चुराने से रोकने के लिए उनके हाथ बांध देती थीं. यह बात भगवान गणेश को अच्छी नहीं लगी, और उन्होंने खुद मूर्ति से प्रकट होकर शिशु कृष्ण को मोदक खिलाए.