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जानिए कैसे हुई भारत में पापड़ की शुरुआत, एक साधारण सी डिश के दम पर आज खड़ी हैं कई करोड़ों की कंपनियां

मलेशिया के एक रेस्टोरेंट में पापड़ को Asian Nachos के नाम से 510 रुपए में बेचा जा रहा है. यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.

Papad Papad
हाइलाइट्स
  • बनती है पापड़ की सब्जी से लेकर चूरी तक 

  • पापड़ ने खड़े किए बड़े बिजनेस

सोशल मीडिया पर एक मलेशियाई रेस्तरां के मेन्यू की तस्वीर वायरल हो रही है और इसका कारण है पापड़. जी हां, एक ट्विटर यूजर द्वारा शेयर की गई तस्वीर में Snitch by The Thieves नाम के रेस्टोरेंट में पापड़ को 'Asian Nachos' के नाम से बेचा जा रहा है, साथ ही इसका संक्षिप्त विवरण और कीमत भी है. तस्वीर के अनुसार, 'एशियन नाचोस' की कीमत 27 मलेशियाई रिंगिट है, जो लगभग ₹510 है. 

इसके बाद लोगों में बहस छिड़ गई है कि यह एक कलनरी क्राइम है. और हो भी क्यों न आखिर पापड़ और भारत का रिश्ता बहुत पुराना है. भारत में खाने का अगर कोई ऐसा आइटम है जो हर जगह उतना ही अनोखा है, तो वह पापड़ है. जगह-जगह पर पापड़ का नाम, इसका रूप और स्वाद बदल जाता है. लेकिन लोगों का पापड़ के लिए प्यार कहीं नहीं बदलता. 

पापड़ का इतिहास
पापड़म, हप्पला और अप्पलम जैसे कई नामों जाने जाने वाले पापड़ का इतिहास 500 ईसा पूर्व का है और बौद्ध-जैन विहित साहित्य में इसका उल्लेख खाद्य इतिहासकार और लेखक केटी आचार्य की पुस्तक 'ए हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड' में मिलता है. इसमें उड़द, मसूर और चना दाल से बने पापड़ का जिक्र है. 

वहीं, Historywali की फाउंडर, शुभ्रा चटर्जी का कहना है कि ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि भारत उपमहाद्वीप पर पापड़ कम से कम 1500 साल पुराने हैं. यह संयोग नहीं है कि पापड़ का पहला उल्लेख जैन साहित्य में है. चटर्जी का कहना है कि मारवाड़ के जैन समुदाय में पापड़ पुराने समय से प्रचलित है क्योंकि वे इसे अपनी यात्राओं में साथ ले जाते थे. 

पापड़ की सब्जी से लेकर चूरी तक 
एक जमाना था जब बहुत से घरों की छतों पर पापड़ सूखते दिखते थे. हालांकि, घर का बना पापड़ बनाना आसान नहीं है. इसलिए ही मुहावरा भी बना- 'पापड़ बेलना,' जिसका अर्थ है 'किसी कार्य को करने के लिए आग और पानी से गुजरना.' सबसे दिलचस्प है कि पापड़ भारत में सिर्फ एक साइड डिश नहीं है बल्कि अलग-अलग तरह से इसका इस्तेमाल होता है.

भारत में एक धार्मिक समुदाय, जैन मानसून के दौरान पत्तेदार साग और फलों से परहेज करते हैं. उनका आहार अनाज और दाल तक ही सीमित होता है. इसके अलावा उनके लिए पापड़ सही बैठता है. जी हां, हमारे देश में पापड़ की सब्जी भी बनाई जाती है. भुना हुआ पापड़ घी और लाल मिर्च पाउडर के साथ मिलाया जाता है और पापड़ मंगोडी की सब्जी लाजवाब लगती है. इसी तरह मसालों के साथ पापड़ की चूर भी बनाई जाती है. 

पापड़ ने खड़े किए बड़े बिजनेस 
भारत में, पापड़ महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ का पर्याय है. 1959 में सात गुजराती महिलाओं द्वारा शुरू किया गया एक सामाजिक उद्यम जो अब एक सहकारी है. यह पूरे भारत में 43,000 से अधिक महिलाओं को रोजगार देता है. लिज्जत पापड़ की संस्थापकों में से एक, 91 वर्षीय जसवंतीबेन जमनादास पोपट को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. 

तमिलनाडु में 100 से अधिक साल पुरानी कंपनी अम्बिका अप्पलम भी है जो 1915 में शुरू हुई थी और अब अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को पापड़ निर्यात करती है. इनके अलावा और भी कई बड़ी कंपनियां पापड़ का बिजनेस करती हैं जिनमें हल्दीराम्स, बीकाजी, गणेश पापड़, श्री कृष्णा पापड़, मारवाड़ पापड़ आदि शामिल हैं.