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Dasheri Mango: 200 साल पुराना है दशहरी मदर ट्री, दूर-दूर से देखने आते हैं लोग, जानिए कैसे मिला यह नाम

आम खाने का मौसम आ गया है. बहुत जल्द ही बाजार आमों से महकने लगेंगे. हालांकि, दशहरी आम को मार्केट में आने में थोड़ा समय लगेगा. लेकिन लोगों को दशहरी का बेसब्री से इंतजार रहता है.

Dasheri Mango Mother Tree Dasheri Mango Mother Tree
हाइलाइट्स
  • 200 साल पुराना है पेड़

  • करते हैं इस पेड़ का संरक्षण

गर्मी का मौसम आते ही लोग आम का स्वाद लेने लगते हैं. आम को फलों का राजा कहा जाता है. लेकिन आम की अलग-अलग किस्मों में भी दशहरी आम को राजा की संज्ञा दी जाती है. अब जब आम के राजा दशहरी की बात हो रही है तो क्या आप जानते हैं कि दशहरी आम की उत्पत्ति कहां हुई और आखिर कैसे इसका नाम दशहरी पड़ा.

दरअसल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित काकोरी में एक गांव पड़ता है जिसका नाम है दशहरी गांव. इसी गांव में आम का पेड़ लगाया गया था और जब इस पेड़ पर पहला फल आया और यहां के ग्रामीणों ने इस आम के स्वाद को चखा तो यह खाने में बेहद ही लजीज और रसीला था. फिर यहां से दूसरी जगहों पर इसे भेजा जाने लगा और वहां इस आम को दशहरी आम के नाम जाना जाने लगा.

200 साल पुराना है पेड़
दशहरी गांव के रहने वाले जयदीप यादव बताते हैं कि यहां पर लगे दशहरी आम के पेड़ को 200 साल पुराना बताया जाता है. उन्होंने अपने दादा-परदादा से इस पेड़ का किस्सा सुना है. उनके दादा ने बताया कि वह पेड़ उनके पिता के भी बचपन से गांव में लगा हुआ है. जयदीप आगे जानकारी देते हुए बताते हैं उनके गांव में दूरदराज से लोग इस पेड़ को देखने आते हैं. यहां तक कि विदेशों से भी लोग इस पेड़ को देखने आते हैं और पेड़ के साथ फोटो खिंचवाते हैं. 

जयदीप बताते हैं कि जो भी दशहरी आम के पेड़ लगाए गए हैं वह सभई इसी पेड़ के फलों की गुठलियों से लगाए गए हैं. ऐसे करके तमाम जगहों पर दशहरी आम फैल गया और इसलिए इसे "मदर ट्री" कहा जाता है. दशहरी आम के पेड़ को बड़े बाग में लगाया गया है. इस आम के पेड़ के साथ-साथ अन्य किस्म के भी आम के पेड़ बाग में लगे हैं. बाघों से सुरक्षा के लिए किनारे-किनारे तार भी लगाए गए हैं. 

करते हैं इस पेड़ का संरक्षण
इस आम के पेड़ का संरक्षण गांव के ही समीर जैदी करते हैं. आम को किसी तरीके की हानि न पहुंचे उसके लिए चारों तरफ से तारों का घेराव किया गया है ताकि कोई जानवर प्रवेश ना कर सकें. साथ ही, जब इसमें फल लगते हैं तो पेड़ों पर और उसके इर्द-गिर्द जाल लगा दिए जाते हैं ताकि चिड़िया फल को नुकसान न पहुंचा सकें. और समय-समय पर पेड़ों पर कीटप्रतिरोधकों का छिड़काव भी किया जाता है ताकि कीड़े ना लग सकें. 

लखनऊ के मलिहाबाद और काकोरी आम उत्पादन के लिए मशहूर हैं. यहां पर जहां तक नजर दौड़ाएंगे दूर-दूर तक आम के बाग ही नजर आएंगे. हालांकि काकोरी के दशहरी गांव में मौजूद दशहरी आम के पेड़ को सरकार ने ऐतिहासिक वृक्ष का दर्जा दिया है. 

(सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)