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Selfie and Public Health Problem: आखिर कैसे सेल्फी लेना बन चुका है एक पब्लिक हेल्थ समस्या?

इस स्टडी में अलग-अलग देशों को शामिल किया गया. अमेरिका और रूस के बाद भारत में सेल्फी से होने वाली मौतों और चोटों की संख्या सबसे ज्यादा दर्ज की गई. सेल्फी लेने से जुड़े खतरे अलग-अलग हैं. इतना ही नहीं, देशों में घटनाओं के अलग-अलग पैटर्न भी होते हैं. 

Selfie and Public Health Problem Selfie and Public Health Problem
हाइलाइट्स
  • सेल्फी एक पब्लिक हेल्थ का विषय 

  • चिंताजनक आंकड़े आए सामने 

परफेक्ट सेल्फी की तलाश में खतरनाक हो सकती है. लोग अक्सर कई ऐसी चीजें कर देते हैं जिससे वे खुद मुश्किल में आ जाते हैं. इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी की एक हालिया स्टडी ने सेल्फी से जुड़े कई खतरों के बारे में बताया है कि कैसे ये लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रही है. 

सेल्फी एक पब्लिक हेल्थ का विषय 

जर्नल ऑफ मेडिकल इंटरनेट रिसर्च में पब्लिश हुई इस स्टडी में 2008 से ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में की गई स्टडी के बारे में बताया गया है. इस स्टडी में सेल्फी लेने से संबंधित घटनाओं का जिक्र किया गया है. इसमें ऐसे कई घटनाओं के बारे में बताया गया है जो सेल्फी लेने के समय हुई है. इसमें डूबना और ऊंचाई से गिरना और सेल्फी लेते हुए लगी चोटों को शामिल किया गया है.

चिंताजनक आंकड़े आए सामने 

इस स्टडी को 13 साल तक किया गया है. इसमें लगभग 400 सेल्फी-संबंधित घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से उल्लेखनीय 77 मामले अमेरिका में हुए. अधिकांश पीड़ितों की पहचान 20 साल की उम्र की युवा महिला पर्यटकों के रूप में की गई. दुनिया भर में प्रतिदिन ली जाने वाली अनुमानित 92 मिलियन सेल्फी के साथ, शोधकर्ताओं ने संभावित जोखिमों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत के बारे में बात की है. 

भारत में भी सेल्फी का क्रेज 

इस स्टडी में अलग-अलग देशों को शामिल किया गया. अमेरिका और रूस के बाद भारत में सेल्फी से होने वाली मौतों और चोटों की संख्या सबसे ज्यादा दर्ज की गई. सेल्फी लेने से जुड़े खतरे अलग-अलग हैं, देशों में घटनाओं के अलग-अलग पैटर्न भी होते हैं. 

कई दुखद घटनाओं में तो ज्यादा सेल्फी लेने के खतरों के बारे में भी बताया है. चट्टानों से गिरने से लेकर डूबने तक, सही शॉट की चाह रखने वाले व्यक्तियों को गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ा है. 

क्या किया जा सकता है इसके लिए?

इस स्टडी के मुख्य लेखक, डॉ. सैम कॉर्नेल के मुताबिक पारंपरिक उपाय, जैसे "नो सेल्फी जोन" जैसी चीजें लोगों को रोकने के लिए काफी नहीं हैं. घटनाओं को रोकने के लिए ज्यादा सक्रिय दृष्टिकोण के रूप में ऐप्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सुरक्षा से जुड़े मैसेज दिए जाने चाहिए.

सिफारिशों में मौसम और पानी की स्थिति पर विचार करना, सेफ्टी साइन और बाधाओं का सम्मान करना, चट्टानों के किनारों से बचना और जोखिम भरी सेल्फी लेने के पीछे के मोटिवेशन का गंभीर मूल्यांकन करना शामिल है.