दक्षिणी मैक्सिको के घने जंगलों में एक पुराने शहर की खोज हुई है. पुरातत्वविदों ने हाल ही में वलेरियाना नामक एक लंबे समय से खोए हुए मयान शहर की खोज की घोषणा की है, जिसका नाम पास की एक मीठे पानी की झील के नाम पर रखा गया है. इस खोज को *Antiquity* नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. इसको खोजने में एडवांस टेक्नोलॉजी लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) ने बड़ी भूमिका निभाई है.
मंदिरों के पिरामिड से लेकर भव्य प्लाजा तक, वलेरियाना के पुरातात्विक अवशेष मयान सभ्यता की भव्यता को दिखाते हैं. लेकिन इस शहर के मिलने से भी ज्यादा आश्चर्यजनक यह है कि इसे कैसे खोजा गया. इसमें नॉर्मल माइनिंग टेक्निक का इस्तेमाल नहीं किया गया है, जिसमें अक्सर वनस्पतियों को माचेते से काटना और ब्रश या जमीन साफ करना शामिल होता है. इस खोज के लिए एक बिल्कुल अलग तकनील अपनाई गई है. इसके बजाय, वैज्ञानिकों ने लेजर, ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी जैसे एडवांस इक्विपमेंट का उपयोग करके जंगल के नीचे छिपे इस शहर को खोजा है.
वलेरियाना की खोज
खोए हुए शहर वलेरियाना में दो विशाल प्राचीन क्षेत्र शामिल हैं. अध्ययन के अनुसार, इसमें एक चौड़े हाईवे द्वारा जुड़े हुए बंद प्लाज़ा, मंदिर पिरामिड, एक बॉल कोर्ट और एक प्राचीन जलाशय शामिल हैं. यहां एक "ई-ग्रुप" नाम का स्ट्रक्चर भी था, जो अक्सर 150 ईस्वी से पहले की जो पूजा पाठ वाली जगह थी उसके लिए इस्तेमाल होती थी.
दशकों से, पुरातत्वविद मयान शहरों की शहरी व्यवस्था को समझने और इसका मैप बनाने में काफी मेहनत कर रहे थे. लेकिन अब इस शहर को लेकर काफी कुछ साफ हुआ है.
लिडार ने कैसे की मदद?
पुरातात्विक शोध में लिडार ने एक क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है. लिडार के आने से पहले, पुरातत्वविदों को छोटे, बिखरे हुए स्थलों को खोजने में सालों या यहां तक कि दशकों का समय लग जाता था, और अक्सर घने जंगलों में छिपे बड़े शहरी नेटवर्क छूट जाते थे. लेकिन लिडार के साथ, शोधकर्ता महज कुछ घंटों में सैकड़ों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर कर सकते हैं. उनके पैटर्न को पहचान सकते हैं. और मैपिंग कर सकते हैं.
वलेरियाना के मामले में, लिडार ने पुरातत्वविदों को लगभग 6,764 स्ट्रक्चर का डॉक्यूमेंटेशन करने में मदद की, जिसमें तीन ट्रांसेक्ट और तीन रिसर्च ब्लॉक शामिल हैं. ये ट्रांसेक्ट, जो 213 किलोमीटर में फैले और 58.3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करते हैं.
हालांकि, लिडार की कीमत बहुत ज्यादा हो सकती है. वलेरियाना जैसे मामलों में, जहां कोई दिखने वाला स्ट्रक्चर नहीं था, वहां लिडार सर्वे के लिए पैसे जुटाना काफी मुश्किल हो सकता है. कई फंड देने वाले उन क्षेत्रों में निवेश करने से हिचकिचाते हैं जहां बसावट का कोई पूर्व प्रमाण नहीं होता. लिडार से मिलने वाले डेटा को समझना भी काफी मुश्किल हो सकता है.
वलेरियाना को ढूंढने में टेक्नोलॉजी का बड़ा हाथ
वलेरियाना का शहर सिर्फ मयान पुरातात्विक स्थलों की लिस्ट में एक और एडिशन नहीं है. यह मॉडर्न टेक्नोलॉजी की शक्ति का प्रमाण भी है जो प्राचीन दुनिया को हमारे सामने ला सकती है. लिडार, ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से, पुरातत्वविद अब सदियों से छिपे हुए स्ट्रक्चर को देख सकते हैं.