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दुल्हन को शादी से पहले मेहंदी क्यों लगाई जाती है?

सभी धर्मों में मेहंदी को पवित्र भी माना गया है. मेहंदी लगाने की यह परंपरा न केवल भारत में फेमस है, बल्कि कई पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी मेहंदी की रस्म अदा की जाती है. बता दें कि मेहंदी हिंदुओं के साथ साथ मुस्लिमों में भी उतनी ही लोकप्रीय है, इस्लामी साहित्य के मुताबिक, पैगंबर मुहम्मद अपनी दाढ़ी पर मेहंदी लगाते थे. साथ ही, उन्होंने मेहंदी का इस्तेमाल बीमार लोगों के इलाज के लिए भी किया था.

मेहंदी मेहंदी
हाइलाइट्स
  • मेहंदी की रस्म सबसे पुरानी भारतीय परंपराओं में से एक है.

  • मेहंदी हिंदुओं के साथ साथ मुस्लिमों में भी उतनी ही लोकप्रीय है

भारत में शादी की अलग ही धूम होती है. शादी में तमाम तरह की रस्में अदा की जाती है.. हल्दी से लेकर मेहंदी तक सभी रस्में अपने आप में खास होती हैं. ये सभी रस्में होने वाली दुल्हन के लिए खास होती हैं.  मेहंदी की रस्म की बात करें तो ये माना जाता है कि मेहंदी की रस्म का चलन बरसों पुराना है इसके साथ ही मेहंदी दुल्हन के सोलह श्रृंगार का हिस्सा है. इस वजह से मेहंदी की खासियत बढ़ जाती है. तो आईये जानते हैं शादी के दिन लगाई जाने वाली मेहंदी  की खासियत और इसके पीछे की वजह. 

क्या है मेहंदी का इतिहास

मेहंदी का इस्तेमाल वैदिक काल से होता आ रहा है और इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है कि खूबसूरत राजकुमारी क्लियोपेट्रा ने अपने शरीर को रंगने के लिए मेहंदी का ही इस्तेमाल किया था.

मेहंदी को बॉडी आर्ट का सबसे पुराना रूप माना जाता है.  मेहंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'मेंढिका' से हुई है, जिसका मतलब मेहंदी का पौधा होता है.  

मेहंदी लगाने का रिवाज कितना पुराना

मेहंदी की रस्म सबसे पुरानी भारतीय परंपराओं में से एक है. इस परंपरा में दुल्हा दुल्हन के अलावा घर के सभी लोग भी मेहंदी लगाते हैं. इस रस्म के दौरान दूल्हा और दुल्हन के हाथों और पैरों में मेहंदी लगाई जाती है.  एक तरफ तो मेहंदी से दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगता है साथ ही सोलह श्रृंगार भी पूरा हो जाता है. बता दें कि सभी धर्मों में मेहंदी को पवित्र भी माना गया है.

मेहंदी लगाने की यह परंपरा न केवल भारत में फेमस है, बल्कि कई पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी मेहंदी की रस्म अदा की जाती है. बता दें कि मेहंदी हिंदुओं के साथ साथ मुस्लिमों में भी उतनी ही लोकप्रीय है, इस्लामी साहित्य के मुताबिक, पैगंबर मुहम्मद अपनी दाढ़ी पर मेहंदी लगाते थे. साथ ही, उन्होंने मेहंदी का इस्तेमाल बीमार लोगों के इलाज के लिए भी किया था.   

दुल्हा- दुल्हन को इसलिए लगाई जाती है मेहंदी 

शादी के कुछ दिन पहले मेहंदी की रस्म शुरू की जाती है. मेहंदी की रस्म में दूल्हा और दुल्हन के हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है. मेहंदी को सौभाग्य की निशानी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि मेहंदी लगाने से दुल्हा दुल्हन के बीच प्यार बढ़ता है. माना ये भी जाता है मेहंदी का रंग जितना लाल होता है दोनों का प्यार उतना ही गहरा होता है. ऐसा भी कहा जाता है कि शादी के बाद जितने दिनों तक मेहंदी का रंग बरकरार रहता है यह नए शादीशुदा जोड़े के लिए उतना ही भाग्यशाली होता है.