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अगर आपका बच्चा भी नहीं सुनता आपका कहना, तो ऐसे समझाएं...कभी नहीं टालेगा आपकी बात

कई पैरेंट्स को अक्सर यह शिकायत होती है कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते. इस वजह से वो कभी डांटकर या गुस्सा करके उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं. इस वजह से उनके बच्चे जिद्दी भी हो जाते हैं. ऐसे में कई बार बच्चे सामने तो सीधे बने रहते हैं लेकिन बाद वो शैतानी जरूर करते है.

Representative Image (Source - Unsplash) Representative Image (Source - Unsplash)
हाइलाइट्स
  • अपनी बात कहने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाएं

  • बनें उनके रोल मॉडल

कई पैरेंट्स को अक्सर यह शिकायत होती है कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते. इस वजह से वो कभी डांटकर या गुस्सा करके उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं. इस वजह से उनके बच्चे जिद्दी भी हो जाते हैं. ऐसे में कई बार बच्चे सामने तो सीधे बने रहते हैं लेकिन बाद वो शैतानी जरूर करते है. कई पैरेंट्स इसे प्यार समझकर टाल देते हैं लेकिन बाद में ये उनकी आदत में शुमार हो जाता है और बच्चे जिद्दी बन जाते हैं. 

इसमें बच्चों की भी गलती नहीं होती. कई बच्चे चंचल स्वभाव के होते हैं. ऐसे में जरूरत है कि बच्चों को उन्हीं की भाषा में प्यार और खेल के साथ चीजें सिखाई जाएं. अगर आप एक ही तरीके से या जबरदस्ती चिल्लाकर अपनी बात मनाना चाहेंगे तो हो सकता है बच्चा आपकी बात न सुने या बाद तक उसे फॉलो न करे.

समझें उनका माइंडसेट
जब आप बच्चों से बात कर रहे हैं तो ऐसे में सबसे पहले आपको बच्चों के माइंडसेट को समझना जरूरी होता है. जरूरी है कि आप अपने बच्चों से बात करते समय ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करें, जो सिंपल हों और उन्हें आसानी से समझ में आएं. कई बार ऐसा होता है कि आप बच्चों को ज्यादा सिखाने के चक्कर में कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जो थोड़े से कठिन होते हैं और बच्चा आपकी बात को इग्नोर करने लगता है.

अपनी बात कहने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाएं
आप अपने बच्चों से कह सकते हैं कि अगर वो अपना काम या होमवर्क पूरा कर लेगा तो आप उसे कहीं घूमाने या उसकी कोई फेवरेट चीज उसे लाकर देंगे. इससे क्या होगा कि बच्चे के मन में भी एक टास्क जैसा आ जाएगा और फिर वो काम तेजी से पूरा करेगा. 

खेल-खेल में सिखाएं 
बच्चों का ध्यान सबसे ज्यादा खेलों पर आकर्षित रहता है. ऐसे में माता-पिता खेलों की मदद से भी उन्हें आज्ञाकारी बना सकते हैं. आप उनका मनपसंद खेल उनके साथ खेलें और खेल-खेल में आप अपनी बात उनसे मनवाने की कोशिश करें.

बनें उनके रोल मॉडल
बच्चों को आज्ञाकारी बनाने के लिए सबसे पहले खुद को आज्ञाकारी बनना जरूरी है. अगर माता-पिता खुद एक-दूसरे पर अपनी जरूरतों को थोपेंगे या बच्चों के सामने लड़ेंगे तो इस माहौल में बच्चा कभी आज्ञाकारी नहीं बन सकते.

एक बार में एक ही बात करें
जब आप बच्चे से बात कर रहे हैं तो कोशिश करें कि एक बार में एक ही टॉपिक पर चर्चा करें या फिर उन्हें एक बार में केवल एक ही इंस्ट्रक्शन दें. कई बार पैरेंट्स बच्चों के साथ कई टॉपिक पर एक साथ चर्चा करने लग जाते हैं, जिससे बच्चे कंफ्यूज हो जाते हैं और फिर इससे वह बातों में इंटरेस्ट लेना छोड़ देते हैं. 

अपनी बातों को न थोंपें
कुछ माता-पिता की आदत होती है कि वे अपनी बात मनवाने के चक्कर में अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोप देते हैं, जिसके कारण बच्चे जल्दी बोर हो जाते हैं. ऐसे में माता-पिता को अपनी बात बच्चों पर थोपने की आदत को बदलना चाहिए. बच्चों को अपनी बात हमेशा प्यार से समझाएं और उसके पीछे का कारण भी बताएं कि वह यह काम किस कारण करने के लिए कह रहे हैं.