
कई बार प्रसव पीड़ा किसी फ्लाइट के दौरान ही हो जाती है. और बच्चे का जन्म फ्लाइट में ही करवाना पड़ता है. जन्म करवाना आम बात है, लेकिन सवाल उठता है कि उस बच्चे की नागरिकता क्या होगी. यानी कोई फ्लाइट अगर लंदन के ऊपर उड़ रही है, और कोई भारतीय महिला इस दौरान बच्चे को जन्म दे देती है. तो उस बच्चे की नागरिकता किन आधारों पर तय होगी.
क्या होते हैं आधार?
फ्लाइट के दौरान पैदा हुए बच्चों की नागरिकता मुख्य रूप से दो आधारों पर तय होती है. पहला है उसके माता-पिता की नागरिकता. दूसरा है जिस देश का वह जहाज़ है, उसे उस देश की नागरिकता दी जाती है.
दरअसल फ्लाइट में पैदा हुए बच्चों की नागरिकता का मामला काफी उलझा हुआ है. इसको लेकर कोई एक आधार नहीं बनाया गया है. कुछ देश इस रूल को मानते हैं कि जिस देश में प्लेन रजिस्टर्ड है बच्चे को वहां की नागरिकता दी जाएगी. हालांकि कुछ देश इस बात की वकालत करते हैं कि मां-बाप की नागरिकता ही बच्चे को दी जाएगी. ऐसे में कैसे सुलझे मामला?
कैसे सुलझा मामला?
इस मामले को सुलझाने के लिए 1961 में एक इंटरनेशनल एग्रीमेंट बनाया गया था. जिसके अनुसार फ्लाइट के हवा में होने के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस देश की नागरिकता दी जाएगी. जिस देश में उन प्लेन को रजिटर किया गया है.
अमेरिका की राह अलग
इस मामले में यूएस स्टेट डिपार्टमेंट एक अलग तरीका अपनाता है. उनका मानना है कि अगर कोई बच्चा हवा में पैदा हुआ है तो उसे वह 'एयर बेबी' ही कहेंगे. वहीं अगर वह बच्चा इंटरनेशनल वॉटर में पैदा होता है तो वह 'सी बेबी' कहलाएगा.
मौके को भुनाने से पीछे नहीं हटती एयरलाइन
ऐसे एयर बेबी के मामलों को एयरलाइन खूब भुनाती हैं. वह इन बच्चों के जरिए अपना खूब प्रमोशन करती हैं. साथ ही कई बार इन बच्चों के लिए फ्री टिकट भेजती हैं. या फिर कभी कोई गिफ्ट, जिससे वह सुर्खियों में बनीं रहे और लोगों की याद में ताज़ा रहें.