लाइब्रेरी का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ऐसा स्थान आता है जहां चारों तरफ बस किताबें ही किताबें हैं. लेकिन साल 2000 में डेनमार्क में एक अलग तरह की लाइब्रेरी की शुरुआत की गई. जिसे ह्यूमन लाइब्रेरी का नाम दिया गया. इसका उद्देश्य लोगों के बीच सोशल कनेक्शन बनाना है. यानी कि लाइब्रेरी में सवालों का जवाब देने के लिए कोई किताब नहीं इंसान मौजूद होगा. गुजरात के जूनागढ़ में भी दी 'ह्यूमन लाइब्रेरी' की शुरुआत की गई है.
सरकारी कर्मचारी के लिए की गई शुरुआत
जिला प्रशासन के मुख्य अधिकारी डॉ रचित राज ने जिला प्रशासन ऑफिस में एक अलग रूम बनाया है. जिसमें कर्मचारी दोपहर 1 से 3 के बीच बैठकर एक दूसरे से बातचीत करेंगे. सुख दुख शेयर करेंगे. आज लोग एक दूसरे से दूर होते जा रहे है ऐसे में जिला प्रशासन का ये कदम प्रशंसनीय है. जिला प्रशासन के मुख्य अधिकारी ने कहा कि Denmark में 2000 में शुरू हुआ था. आज हमारे देश में प्राइवेट कंपनियों में कर्मचारियों के लिए कई प्रोजेक्ट किए जाते हैं पर सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू किया गया ये 'दी ह्यूमन लाइब्रेरी' पहला प्रोजेक्ट है.
80 से ज्यादा देशों में चलाई जा रही है ह्यूमैन लाइब्रेरी
पूरी दुनिया में 80 से ज्यादा देशों में ह्यूमन लाइब्रेरी चलाई जा रही है. और भारत में पहली बार इंदौर में 2016 में इसकी शुरुआत की गई थी. जिसके बाद मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली और चेन्नई समेत 9 से ज्यादा शहरों में इसकी शुरुआत की गई. अब जूनागढ़ में भी लोग ह्यूमन लाइब्रेरी के जरिए सोशल कनेक्शन को बढ़ा सकेंगे. एक अलग कमरे में सारी सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. जहां किताबें नही बल्कि लोगों के मन को पढ़ने का मौका मिलेगा. जिला प्रशासन अधिकारी डॉ रचित राज हमेशा अव्वल रहने का रिकॉर्ड बनाते हैं. ऐसे में ऐसा इमोशनली सोच रखना लोगों को सीखाना प्रशंसनीय है.
(जूनागढ़ से भार्गवी जोशी की रिपोर्ट)