
किसी ने क्या खूब कहा है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती. ज्ञान लेने का कोई अंत नहीं होता. बेशक आप जेल की सलाखों के पीछे ही पहुंच गए हों, लेकिन अगर ज्ञान पाने की ललक है तो आप पा सकते हैं. इसी क्रम में यूपी के बांदा जेल में कैदियों की पाठशाला चल रही है.
कैदियों की मानसिक स्थिति बदलना मकसद
जेल प्रशासन का मकसद है कि कैदियों के अपराध करने के बाद जेल आने के बाद उनकी मानसिक स्थिति बदल जाती है. इसको बदलने के लिए उन्हें पढ़ाया जा रहा है. साथ ही निरक्षर को साक्षर बनाने का काम किया जा रहा है, जिसमे महिलाएं और उनके बच्चे भी शामिल हैं. बाकायदा जेल प्रशासन ने उनका स्कूल में एडमिशन भी कराया है.
51 कैदी बने विद्यार्थी
आपको बता दें कि जेल में 51 बंदी की पाठशाला चल रही है. जिसमे कक्षा 5 में 43 बंदी हैं. जिसमें 5 महिलाए शामिल हैं. इसके अलावा कक्षा 8 में 8 बंदी हैं. इनको साक्षर बनाने की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग के दो शिक्षकों पर है. जिसमें एक पुरुष और एक महिला टीचर हैं. महिला टीचर महिलाओं को पढ़ाती हैं. जेल प्रशासन इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. इन कैदियों से जेल प्रशासन पढ़ने की सिवाय कोई और काम नही लेता.
क्या बोले जेल सुपरिटेंडेंट
जेल सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार गौतम ने बताया कि कैदियों के जीवन मे परिवर्तन लाने के लिए उनके मानसिक विकास में बदलाव करने के उद्देश्य से बांदा मंडल कारागार में दो शिक्षकों की तैनाती डीएम ने की है. जिसमें एक पुरुष और एक महिला शिक्षक हैं. महिला टीचर महिला बंदी और उनके बच्चो को पढ़ाती हैं. पुरुष टीचर पुरुषों को पढ़ाते हैं.
क्लास 5 में 43 बंदियों को एडमिशन सिविल लाइन में कराया गया है, साथ ही क्लास 8 में 8 बंदियों का एडमिशन हुआ है. इनकी क्लासेज रेगुलर चल रही हैं. इन्हें शिक्षा के माध्यम से समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है.