मां की मजाक मजाक में कही गई एक बात ने प्याली की जिंदगी बिल्कुल बदल कर रख दी है. बंगाल के हुगली के चंदननगर शहर की गलियों में साइकिल चलाने वाली लड़की प्याली बसाक ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ चोटी एवरेस्ट पर जीत हासिल कर ली है. वो भी बिना ऑक्सीजन के. जी हां, प्याली ने बिना ऑक्सीजन गैस के चढ़ाई करके देश और दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है. पिता की लंबी और जटिल बीमारी के अलावा आर्थिक प्रतिकूलताओं की दोहरी मार भी इस लड़की के मजबूत इरादों को नहीं डिगा पाई.
बिन ऑक्सीजन के कर ली चढ़ाई
दरअसल, प्याली ने दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी धौलागिरी और फिर रविवार की सुबह तकरीबन 8:30 बजे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ाई की है. प्याली ने ऐसा करके अपनी प्रतिभा और लगन का लोहा सारी दुनिया को मनवा लिया है. एवरेस्ट पर चढ़ते ही उन्होंने अपनी जीत का जश्न हिमालय की सर्वोच्च चोटी पर तिरंगा लहराया. और वह भी एवरेस्ट की दुर्गम चोटी पर उसने बिना ऑक्सीजन के चढ़ाई करके यह नायाब कारनामा करके दिखाया है.
प्याली को पहाड़ों से है प्यार
प्याली की मां बताती हैं कि बचपन से ही पहाड़ के प्रति प्याली का अदम्य प्रेम उसे पहाड़ चढ़ने के लिए खींच लेता था. वे कहती हैं कि बचपन में कई बार दार्जिलिंग लेकर गई तो प्याली बस दार्जिलिंग की हसी वादियों से हिमालय की चोटियों को निहारती रहती थी. और जब बचपन में उनकी मां ने एक बार मजाक-मजाक में प्याली से कहा कि " प्याली तू तो साइकिल बड़ी जोर से चलाती है , कभी बिना भीड़भाड़ वाले रास्ते में सांसो को रोककर साइकिल चला कर देखना कि क्या तुम सांसे बंद करके चला पाती हो या नहीं." बस फिर क्या था प्याली ने फट से मां को पलटकर जवाब दें दिया कि मां मैं अक्सर सांसे बंद करके साइकिल चलाती हूं .
इसी तरह हुगली चंदननगर की गलियों में सांसे बंद करके साइकिल चलाने वाले इस गुर ने प्याली को दुनिया के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट फतह करने का नुस्खा दे दिया.
प्याली की मां आगे बताती हैं कि जब 3 दिन पहले उनकी बेटी से फोन पर बात हुई थी तो उसने बताया कि आखिरी पड़ाव की चढ़ाई करने के लिए उसकी सारी तैयारी पूरी हो चुकी है और वह बिल्कुल ठीक है . लेकिन रविवार की सुबह एवरेस्ट फतह करने के बाद अभी तक उनकी बेटी से बात नहीं हुई है.
(भोला नाथ साहा की रिपोर्ट)