
कई किसान चाहकर भी पारंपरिक खेती नहीं छोड़ पाते हैं. लेकिन जो किसान पारंपरिक खेती की जगह आधुनिक खेती अपनाते हैं, उनकी जिंदगी बदल जाती है. अच्छा-खासा मुनाफा होने लगता है. ऐसे ही एक किसान मध्य प्रदेश के इंदौर के रहना वाले हैं, उनका नाम धन सिंह है. धन सिंह मोरिंगा की खेती करते हैं और अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं.
सहजन की खेती से बदली जिंदगी-
धन सिंह नाम के ये किसान इंदौर के गारी पिपरिया गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने पारंपरिक खेती की जगह आधुनिक खेती करने लगे. इससे उनको अच्छा-खासा फायदा होने लगा. उनकी गिनती इलाके के प्रगतिशील किसानों में होने लगी है. धन सिंह पहले पारंपरिक सोयाबीन की खेती करते थे. जिससे उनको बहुत ही कम आमदनी होती थी, लेकिन जब उन्होंने मोरिंगा की खेती करना शुरू किया, उनका मुनाफा दोगुना हो गया है.
एक एकड़ में करीब 2 लाख की कमाई-
किसान धन सिंह पहले पारंपरिक सोयाबीन की खेती करते थे, जिससे हर एकड़ में 18 हजार के आसपास आमदनी होती थी. लेकिन अब धन सिंह मोरिंगा की खेती करते हैं. धन सिंह को मोरिंगा की खेती से एक एकड़ में करीब 2 लाख रुपए की आमदनी हुई. किसान धन सिंह को इसमें मध्य प्रदेश कृषि विभाग की भी मदद मिली. कृषि विभाग की तरफ से आत्मा परियोजना की जानकारी मिली. इस योजना के तहत उन्होंने मोरिंगा की खेती शुरू की. इसके साथ ही वो पशुपालन, मधुमक्खी पालन, केंचुआ खाद बनाने का काम भी करते हैं. इससे उनको अतिरिक्त मुनाफा होता है.
मोरिंगा की खेती का तरीका-
सहजन की खेती करीब सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. लेकिन काली मिट्टी और बलुई मिट्टी में इसकी सबसे बेहतर पैदावार होती है. मिट्टी का पीएच 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए. मोरिंगा की खेती के लिए तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए.
75 दिन में आने लगते हैं फूल-
सहजन के पौधे बीज और कलम विधि से तैयार किए जाते हैं. एक हेक्टेयर में पौधा लगाने के लिए 500-600 ग्राम बीज की जरूरत होती है. इन बीजों को पहले 10 से 12 घंटे तक भिगोना चाहिए. इसके बाद बुआई की जाती है. रोपते समय हर पौधे को 500 ग्राम गोबर और 250 ग्राम नीम खली देना चाहिए. करीब 75 दिन बाद पौधों में फूल आने लगते हैं.
कीट से बचाने का तरीका-
मोरिंगा के पत्तों को भुजा पिल्लू नाम के कीट खाते हैं. इसको कंट्रोल करने के लिए कपड़ा धोने वाला पाउडर को घोलकर इसपर छिड़कना चाहिए. सहजन के पौधों को गलने का डर भी रहता है. इसलिए पौधों को ऊंचाई पर लगाना चाहिए. मोरिंगा के हर पेड़ से शुरुआत में 3-4 साल तक 20 से 30 किलोग्राम उपज होती है. इसके बाद 40 से 50 किलोग्राम उपज होने लगती है.
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