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Inspirational: बेटे की याद में शुरू किया ट्रस्ट, स्लम के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहा है यह रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन

ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) शरद तिवारी और उनकी पत्नी सविता अपने बेटे की याद में 'शहीद स्क्वॉड्रन लीडर शिशिर तिवारी मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट' चला रहे हैं. जिसके तहत वे सैकड़ों गरीब बच्चों का जीवन संवारने में जुटे हैं.

Teaching slum kids for free (Photo: Facebook) Teaching slum kids for free (Photo: Facebook)
हाइलाइट्स
  • 2017 में हुआ था शिशिर का निधन

  • माता-पिता ने शुरू की शिक्षा की मुहिम

गाज़ियाबाद में रहने वाले ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) शरद तिवारी के बेटे स्क्वाड्रन लीडर शिशिर तिवारी का साल 2017 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में Mi-17 V5 दुर्घटना में निधन हो गया था. उनके निधन के बाद शरद और उनकी पत्नी के लिए आगे बढ़ना आसान नहीं था. क्योंकि शिशिर एक ऐसा बेटा था जिसका सपना हर माता-पिता देखते हैं. शिशिर बचपन से ही फ्लाइंग के जुनून और देशप्रेम के साथ बड़े हुए. 

बी.टेक पूरा करने के बाद, वह भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए, और जम्मू से पोर्ट ब्लेयर, बैरकपुर तक पूरे देश में पोस्टिंग लेकर देश की गर्व से सेवा की. शिशिर का समर्पण और बहादुरी उत्तराखंड बाढ़ के दौरान सबसे ज्यादा सामने आई, जहां उन्होंने अपने अथक बचाव प्रयासों से लगभग 700 लोगों की जान बचाई. उनके काम ने उनके माता-पिता को कई बार उनपर गर्व करने का मौका दिया. और इसलिए शिशिर के जाने के बाद शरद ने उनके नाम से एक ट्रस्ट शुरू किया ताकि वे जरूरतमंदों की मदद कर सकें. 

हमेशा के लिए कह दिया अलविदा....
शरद ने मिलाप संस्था को बताया कि 6 अक्टूबर, 2017 को शिशिर को अरुणाचल प्रदेश में एक ऑपरेशनल मिशन सौंपा गया था. यह क्षेत्र अपने दुर्गम इलाके के लिए जाना जाता है और इसलिए आपूर्ति के लिए एयर-मेंटेन्ड पोस्ट्स पर निर्भर करता है. जब शिशिर का हेलीकॉप्टर ऊबड़-खाबड़ लैंडस्केप में उड़ रहा था, तो उन्होंने और उनके चालक दल ने चीन सीमा के पास तैनात सेना के लिए जरूरी राशन और सप्लाइज से भरे पांच पैराशूट गिराने की तैयारी की. शिशिर जैसी क्षमता वाले पायलट के लिए यह मिशन रेगुलर था. 

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लेकिन, कुछ तकनीकी खराबी के कारण हेलीकॉप्टर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया. कुछ ही क्षणों में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई. एयरप्लेन को स्टेबल करने के शिशिर के प्रयासों के बावजूद, वह जमीन पर गिर गया और इस दुर्घटना में जहाज पर सवार सभी सात लोगों की जान चली गई. बेटे की मौत की खबर ने शरद और और उनकी पत्नी को गहरा सदमा दिया. लेकिन उन्होंने अपने दुःख से उबरकर कुछ सार्थक करने की ठानी. 

गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा 
देश की सेवा करना शिशिर का सपना था और उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए शरद और उनकी पत्नी, सविता ने वंचित और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को शिक्षा देकर भारत के भविष्य को उज्जवल बनाने का निर्णय लिया. उन्होंने कुछ किताबों और एक ब्लैकबोर्ड के साथ एक फ्लाईओवर के नीचे अपनी यात्रा शुरू की. शरद ने 'शहीद स्क्वॉड्रन लीडर शिशिर तिवारी मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट' की शुरुआत की. 

उनकी फ्लाईओवर के नीचे चलने वाली क्लास अब स्कूल में तब्दील हो रही हैं. मिलाप के मुताबिक, वर्तमान में उनके पास 120 छात्र एनरोल्ड हैं. हालांकि, उनकी कैपेसिटी 200 बच्चों को पढ़ाने की है. उनका स्कूल सुबह 7:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक चलता है. बच्चे अपने दिन की शुरुआत क्लीनलीनेस चेक, और उसके बाद सुबह की प्रार्थना करते हैं. सोमवार से गुरुवार तक, उन्हें अकेडमिक कोचिंग दी जाती हैं, जबकि शुक्रवार और शनिवार एजुकेशनल एक्टिविटीज, एजुकेशनल फिल्मों और बातचीत के लिए होते हैं.

शरद का कहना है कि वह ज्यादा से ज्यादा बच्चों की मदद करना चाहते हैं. क्योंकि हो सकता है कि जिन भी बच्चों की वह मदद कर रहे हैं वे देश के लिए अगले शिशिर हों.