scorecardresearch

Inspirational Story: स्कूल के बच्चे झुकी हुई गर्दन का उड़ाते थे मजाक, अब पूर्वा ने साउथ अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा, बदला लोगों का नजरिया 

झुकी हुई गर्दन की वजह से पूर्वा को सभी बच्चे चिढ़ाया करते थे, जिसके चलते उन्हें गर्दन की सर्जरी भी करवानी पड़ी. लेकिन पूर्वा ने पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा को देखकर जिंदगी में हार न मानने की ठानी और फिर अफ्रीका की चोटी फतह कर डाली.

फहराया तिरंगा फहराया तिरंगा
हाइलाइट्स
  • झुकी गर्दन की वजह से सब चिढ़ाया करते थे 

  • दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर लहराना है तिरंगा  

मन में अगर दृढ़ इच्छा शक्ति हो और किसी भी काम को पूरा करने का जज्बा हो तो बड़े से बड़ा संकल्प भी पूरा किया जा सकता है. ऐसा ही जज्बा लखनऊ की 25 साल की पूर्वा धवन में देखने को मिला है. पूर्वा ने साउथ अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर देश का तिरंगा फहराया है. पूर्वा जब कक्षा 10 में थी तो उनकी गर्दन एक तरफ झुकी हुई थी, जिसके कारण बच्चे उनका मजाक बनाते थे. लेकिन पूर्वा ने कभी हार नहीं मानी और आज वो काम कर दिखाया है जिसपर सब फक्र कर रहे हैं.

झुकी गर्दन की वजह से सब चिढ़ाया करते थे 

दरअसल, झुकी हुई गर्दन की वजह से पूर्वा को सभी बच्चे चिढ़ाया करते थे, जिसके चलते उन्हें गर्दन की सर्जरी भी करवानी पड़ी. लेकिन पूर्वा ने पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा को देखकर जिंदगी में हार न मानने की ठानी और फिर अफ्रीका की चोटी फतह कर डाली. जो लोग पूर्वा को चिढ़ाया करते थे वो लोग आज उन्हें प्रेरणाश्रोत मानते हैं. राजधानी लखनऊ की रहने वाली 25 साल की पूर्वा धवन ने साउथ अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर देश का तिरंगा फहराया है. माउंट किलिमंजारो की ऊंचाई 5895 मीटर है. 

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर लहराना है तिरंगा  

पूर्वा धवन ने बातचीत में बताया कि अभी उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों पर भारत देश का तिरंगा फहराना है और आने वाले दिसंबर माह में अर्जेंटीना स्थित माउंट अकोंकागुआ की तैयारी कर रही हैं. इसकी ऊंचाई 7000 मीटर से अधिक है. उसके बाद पूर्वा  दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर भारत देश का तिरंगा फहराना है. 

पर्वतारोही पूर्वा ने आगे बताया कि उन्होंने पर्वतों पर चढ़ाई करने से पूर्व बेसिक और एडवांस माउंटेन ट्रेनिंग कोर्स उत्तराखंड से किया था. उसके बाद दिसंबर 2017 में एवरेस्ट बेस कैंप से अपना सफर शुरू किया. इसके बाद उत्तराखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी पर, नेपाल की चोटी पर, लेह लद्दाख की चोटी पर अपने देश का झंडा फहराया है. साथ ही यूपी सरकार की योजना है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ उसका बैनर जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, उसको पर्वतों की चोटी पर फहराया है. 

घरवाले हैं बड़ी ताकत 

माउंटेनियर पूर्वा बताती हैं कि उनके घरवाले उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं. जब भी वह पर्वतों पर जाती हैं तो वह उनको हौसला देते हैं. खासकर उनके पिता उनका सबसे बड़ा सपोर्ट हैं. वह हमेशा पूर्वा के काम को प्रोत्साहन देते थे. उनकी फैमिली ने हमेशा से सपोर्ट किया और आने वाले समय में भी सपोर्ट करेंगे क्योंकि वह अभी माउंट एवरेस्ट पर देश का तिरंगा फहराने चाहती हैं. ऐसे में अगर उनका हौसला थोड़ा टूटेगा भी तो पूर्वा को विश्वास है कि परिवार वाले कभी हौसला टूटने नहीं देंगे. 

सफर में आई थी बहुत परेशानी 

पर्वतारोही पर्वत पर चढ़ाई करते वक्त आने वाली परेशानियों  के बारे में बताते हुए कहा कि एक बार माउंट जॉगिंग में हम लोग फंस गए थे जहां पर नॉन स्टॉप स्नोफॉल हो रहा था. इसकी वजह से काफी दिक्कतें आईं लेकिन ऐसे में हौसला नहीं खोना चाहिए क्योंकि पहाड़ों पर दिक्कतें तो होती ही हैं. अगर किलिमंजारो चोटी की बात करें तो यह पहाड़ एक ड्राई माउंटेन है जहां पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. वहां पर पानी की भी दिक्कत होने लगती है. क्योंकि 4600 मीटर के बाद वहां पानी नहीं है जैसे-जैसे हम ऊपर जाते थे तो ड्राइंग माउंटेन होने की वजह से हमारी रफ्तार में कमी आ रही थी और हमें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी.

पूर्वा बताती हैं कि आने वाले समय में वह माउंट एवरेस्ट जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, वे  वहां पहुंचकर अपने देश का झंडा फहराना चाहती हैं और साथ ही साथ जो सेवन कॉन्टिनेंट की अलग-अलग पीक्स हैं वहां पर भी अपने देश का झंडा फहराना चाहती हैं. इससे वे लोगों को ये बताना चाहती हैं कि बेटियां कुछ भी कर सकती हैं. 

(सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)