पश्चिम त्रिपुरा के निवासी प्रकाश सरकार साल 2007 से भारतीय वायु सेना (IAF) में बतौर प्रशासनिक अधिकारी तैनात हैं. प्रकाश ने सैलनियों के मनोरंजन के लिए अपने घर पर पक्षियों और जानवरों का एक अनूठा जमावड़ा लगा रखा है. महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे के नजदीक नारायणपुर गांव में प्रकाश की निजी एवियरी है, जिसमे आम पक्षियों जैसे मुर्गियां और कबूतर की विदेशी किस्में हैं.
प्रकसज ने त्रिपुरा विश्वविद्यालय में अंग्रेजी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रकाश बचपन से ही "बर्डमैन" बनना चाहते थे और उनकी इच्छा थी कि उनका घर जंगल के आसपास हो ताकि उन्हें परिंदे दिखते रहें. उनका कहना है कि 20 साल पहले उनके घर के चारों ओर घना जंगल था. वह बचपन से ही अपने दोस्तों के साथ जंगलों में घूमकर पक्षियों और गिलहरियों को पकड़ते थे. बचपन में वह नहीं जानते थे कि इन परिंदों को कैसे खाना खिलाया जाए और वे अक्सर उन्हें चावल देते थे, जो पक्षियों के लिए सही नहीं है.
नौकरी के साथ-साथ पनपता रहा पक्षीप्रेम
साल 2010 में सरकार ने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की, और फिर भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए. उनकी पोस्टिंग कानपुर में हुई. पक्षियों के प्रति उनका प्यार यहां फिर से जागृत हो गया है. इसके बाद जब वह मैसूर में तैनात थे तो उन्होंने एक स्थानीय गुरुजी के आश्रम का भी दौरा किया और वहां 260 पक्षियों के साथ एक विशाल पक्षीशाला (एवियरी) देखी. प्रकाश कहते हैं, "मैंने वहां कदम रखा और तुरंत अपना एवियरी शुरू करने का विचार आया."
हालांकि, वह अभी भी अपनी नौकरी में नए थे, और उन्हें एवियरी शुरू करने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत थी. लेकिन, कोविड महामारी उनकी जिंदगी में अलग मोड़ लेकर आई. कोविड महामारी के दौरान, सरकार लॉकडाउन के पहले चरण में चार महीने तक नारायणपुर में अपने घर पर फंसे रहे. दरअसल, उनका घर एक घने जंगल के पास है और अक्सर लोमड़ियां और अन्य हिंसक जानवर आसपास आते रहते थे.
लॉकडाउन में पूरा किया सालों पुराना सपना
लॉकडाउन के दौरान प्रकाश ने अपने घर के आसपास सब कुछ साफ किया, धीरे-धीरे मिट्टी खोदी, पक्षियों के लिए बाड़े बनाए और आखिरकार, 2020 के अंत तक पशु-पक्षियों के लिए फार्महाउस बना दिया. प्रकाश ने इस फार्म को जनवरी 2021 में विजिटर्स के लिए खोल दिया. उनकी मां बीना सरकार कहती हैं, 'यह फार्महाउस पूरी तरह से मेरे बेटे की इच्छा थी.'
प्रकाश जब अपनी नौकरी के सिलसिले में बाहर रहते हैं तो उनका परिवार पशु-पक्षियों का ख्याल रखता है. यह काम दिलचस्प है लेकिन इसमें बहुत पैसा खर्च होता है, रखरखाव के लिए कम से कम 25,000-30,000 रुपये प्रति माह जरूरत होती है. फार्महाउस की शुरुआत 30 रुपये प्रति विजिटर के मामूली प्रवेश शुल्क के साथ हुई. फेस्टिव मौसम के दौरान, इससे उन्हें प्रति माह लगभग 10,000 रुपये मिलते हैं. यह बहुत कम है लेकिन बाकी खर्च प्रकाश और उनके घरवाले उठाते हैं.
इन पशु-पक्षियों का घर है फार्महाउस
प्रकाश का फार्महाउस बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित है. इसमें अब चिकन की 12 से अधिक विदेशी किस्में और लगभग 10 किस्मों के कबूतर हैं, यहाँ टर्की, गिनी सूअर, स्लाइडर कछुए भी हैं. यहां एक छोटा तालाब है जिसमें लाल कार्प के साथ जापानी कोई मछली भी हैं. प्रकाश ने बताया कि वह जहां भी गए, विभिन्न प्रकार के पक्षियों को एकत्र किया और जीवित पक्षियों को अपने घर लाने के लिए उन्होंने कानूनी बारीकियों को सीखा.
वर्तमान में उनके पास सफेद सिल्की और जापानी ड्रामा, गोल्डन सेब्राइट चिकन, फाइटर चिकन, मिल फ़्लूर चिकन, गोल्डन सिल्की चिकन, विशाल पोलिश कैप चिकन, कोलंबियाई विशाल ब्रह्मा चिकन और लाल ब्रह्मा चिकन हैं. उनके कबूतरों में चीनी गिनी फाउल, सिल्वर तीतर, सफेद सिल्की और जापानी ड्रामा, पीले सुनहरे तीतर, भारतीय फैनटेल कबूतर, जैकोबीन कबूतर, लाहौरी कबूतर, वोल्गा टंबलर कबूतर, सफेद फैनटेल कबूतर, काले फैनटेल कबूतर आदि शामिल हैं. पांच-बीघा जमीन पर उनके छोटे से फार्म में पक्षियों के बाड़े, एक पक्षीशाला, एक विदेशी मछलियों का तालाब और परिसर के चारों ओर कुछ बांस से बने व्यूपॉइंट हैं.
क्या है आगे का प्लान
प्रकाश की इस पहल पर अब तक 20 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. उनके माता-पिता और बड़े भाई के साथ दो लोगों को फुलटाइम और एक पार्ट-टाइम स्टाफ सदस्य को काम पर रखा है जो बगीचे की देखभाल करते हैं, फूलों को पानी देते हैं, पालतू जानवरों को खाना खिलाते हैं. प्रकाश ने कहा कि उनकी परियोजना के दूसरे चरण में अपने फार्महाउस को विदेशी पक्षियों के साथ एक पूर्ण पक्षीशाला में विस्तारित करने की योजना है.
प्रकाश का अगला कदम विदेशी पक्षियों की 100 किस्मों के साथ एक एवियरी खोलना है. वह इसे बच्चों और युवाओं के लिए एक डेस्टिनेशन बनाना चाहते हैं. उनकी मकाक, कॉकटू और अन्य विदेशी पक्षियों को लाने की योजना है. लेकिन यह 2028 में उनकी रिटायरमेंट होने के बाद ही होगा. अगर उन्हें कुछ और सरकारी समर्थन और अनुमति मिल जाए, तो प्रकाश अपने इस फार्म को एक पूर्ण पर्यटन स्थल में बदल सकते हैं.