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International Minorities Rights Day: जानें अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है ?

सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 18 दिसंबर 1992 को अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाने की घोषणा की थी. उसी समय से इसे मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना है.

International Minorities Rights Day (photo twitter) International Minorities Rights Day (photo twitter)
हाइलाइट्स
  • सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 18 दिसंबर 1992 को अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाने की घोषणा की थी

  • भारत में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान रखता है

अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 18 दिसंबर 1992 से हर साल मनाया जाता है. सयुंक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाने की घोषणा की थी. इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा, उनकी भाषा, जाति, धर्म, संस्कृति, परंपरा आदि की सुरक्षा को सुनिश्चित कराना है. 

भारत में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान रखता है. वह ध्यान रखता है कि अल्पसंख्यकों को अच्छी शिक्षा मिले. आर्थिक सशक्तिकरण हो और हर क्षेत्र में समान अवसर मिले. वह अल्पसंख्यक समुदाय के हितों के लिए समग्र नीति के निर्माण, समन्यव, मूल्यांकन तथा नियामक विकास कार्यक्रमों की समीक्षा भी करता है. मंत्रालय के लक्ष्य में अल्पसंख्यकों का विकास करना शामिल है. 

1978 में अल्पसंख्यक आयोग का किया गया गठन
भारत सरकार ने अल्पसंख्यक अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1978 में अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया था. इसे बाद में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1992 के तहत कानून के रूप में पारित किया गया.राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को 2006 में यूपीए सरकार ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधीन कर दिय. इसे वे सारे संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, जो दीवानी अदालतों को हैं. भारत के कई अन्य राज्यों में राज्य अल्पसंख्यक आयोग भी है. 

संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है. हालांकि संविधान धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को मान्यता देता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29, 30, 350A तथा 350B में अल्पसंख्यक शब्द का प्रयोग किया गया है लेकिन इसकी परिभाषा कहीं नहीं दी गई है. अनुच्छेद 29 में कहा गया है कि भारत के राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी के किसी अनुभाग, जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है को बनाए रखने का अधिकार होगा. अनुच्छेद 30 में बताया गया है कि धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा, संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा. मूल रूप से भारत के संविधान में भाषायी अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया गया था. इसे 7वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा संविधान में अनुच्छेद 350 B के रूप में जोड़ा गया.