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आपके घर में आ रहा दूध भी तो नहीं है नकली? असली है या नहीं जानने के लिए कर सकते हैं ये टेस्ट

अधिकारियों ने बताया कि केवल 5 मिलीलीटर केमिकल के जरिए अजय अग्रवाल दो लीटर नकली दूध तैयार कर लेता था. उसके पास से कॉस्टिक पोटाश, व्हे पाउडर, सोरबिटोल, मिल्क पर्मिएट पाउडर और रिफाइंड सोया फैट जैसे केमिकल जब्त किए गए, जिनका इस्तेमाल नकली दूध बनाने में किया जा रहा था. 

Purity of Milk (Representative Image/Unsplash) Purity of Milk (Representative Image/Unsplash)

दूध को कैल्शियम का समृद्ध स्रोत माना जाता है और यह हमारी डाइट  का एक जरुरी हिस्सा है जो शरीर की ताकत और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है. लेकिन जब यही दूध गंभीर बीमारियों का कारण बन जाए, तो स्थिति चिंताजनक हो जाती है.

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक छापेमारी के दौरान 500 लीटर नकली दूध और 1 लीटर रसायन जब्त किए गए. मामले में अजय अग्रवाल नाम के एक व्यवसायी को गिरफ्तार किया गया है, जो पिछले 20 साल से सिंथेटिक दूध और पनीर बनाने का कारोबार कर रहा था.

कैसे बनाया जाता है नकली दूध?
अजय अग्रवाल जो अग्रवाल ट्रेडर्स के मालिक हैं, दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स में केमिकल्स, आर्टिफिशियल स्वीटनर और फ्लेवरिंग एजेंट मिलाते थे ताकि यह असली दूध जैसा दिखाई दे. छापेमारी के दौरान Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI) ने एक दुकान और चार गोदामों से मिलावटी केमिकल बरामद किए.

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अधिकारियों ने बताया कि केवल 5 मिलीलीटर केमिकल के जरिए अजय अग्रवाल दो लीटर नकली दूध तैयार कर लेता था. उसके पास से कॉस्टिक पोटाश, व्हे पाउडर, सोरबिटोल, मिल्क पर्मिएट पाउडर और रिफाइंड सोया फैट जैसे केमिकल जब्त किए गए, जिनका इस्तेमाल नकली दूध बनाने में किया जा रहा था. 

कॉस्टिक पोटाश क्या है?
कॉस्टिक पोटाश, जिसे पोटैशियम हाइड्रोक्साइड (KOH) भी कहा जाता है, एक जहरीला पदार्थ है. इसका इस्तेमाल अलग-अलग इंडस्ट्री में होता है. यह शरीर के संपर्क में आने पर गंभीर जलन, सूजन और टिश्यू को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके सेवन से गले, मुंह और पेट में जलन के साथ-साथ सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है.

सोरबिटोल क्या है?
सोरबिटोल एक तरह का शुगर अल्कोहल है, जो प्राकृतिक रूप से सेब, नाशपाती और जामुन में पाया जाता है. यह एक स्वीटनर और मॉइस्चराइजर के रूप में इस्तेमाल होता है. ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से पेट में सूजन और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

कैसे पहचानें कि दूध में मिलावट है?
FSSAI के अनुसार, दूध की शुद्धता की जांच करने के कुछ आसान तरीके हैं, जिन्हें घर पर किया जा सकता है. ये तरीके इस प्रकार हैं:

1. स्टार्च मिलावट की जांच:

  • 2-3 मिली दूध उबालें और ठंडा होने दें.
  • उसमें 2-3 बूंद आयोडीन डालें. 
  • अगर दूध का रंग नीला हो जाए, तो उसमें स्टार्च मिला हुआ है. शुद्ध दूध का रंग नहीं बदलेगा. 

2. डिटर्जेंट मिलावट की जांच:

  • 5 मिली दूध को एक ट्रांसपेरेंट गिलास में लें और बराबर मात्रा में पानी मिलाएं. 
  • अच्छे से हिलाएं. 
  • अगर झाग बने और देर तक बना रहे, तो दूध में डिटर्जेंट मिला है.

3. यूरिया मिलावट की जांच:

  • 5 मिली दूध में बराबर मात्रा में सोयाबीन या अरहर पाउडर मिलाएं. 
  • 5 मिनट बाद एक रेड लिटमस पेपर डुबोएं. 
  • अगर लिटमस पेपर नीला हो जाए, तो दूध में यूरिया मिला है.

4. फॉर्मलिन मिलावट की जांच:

  • 10 मिली दूध में 2-3 बूंद कॉन्सन्ट्रेटेड सल्फ्यूरिक एसिड डालें.  
  • अगर दूध का रंग नहीं बदले, तो दूध शुद्ध है. अगर नीला या बैंगनी रंग बने, तो उसमें फॉर्मलिन मिला है.

5. सिंथेटिक दूध की जांच:

5 मिली दूध में 5 मिली पानी मिलाएं और हिलाएं. 
अगर स्थिर झाग बने, तो दूध सिंथेटिक है.

6. पानी मिलावट की जांच:

  • दूध की एक बूंद को एक चिकनी और झुकी हुई सतह पर डालें. 
  • अगर बूंद धीरे-धीरे बहे और सफेद निशान छोड़े, तो दूध शुद्ध है. अगर तुरंत बह जाए और निशान न छोड़े, तो दूध में पानी मिला है.

नकली दूध का व्यापार न केवल उपभोक्ताओं की सेहत के लिए खतरनाक है, बल्कि यह पशुपालन और दूध उत्पादकों की साख को भी नुकसान पहुंचाता है. इसलिए उपभोक्ता जागरूकता और कड़ी निगरानी से ही इस समस्या का समाधान संभव है. अपने परिवार की सुरक्षा के लिए दूध की शुद्धता की समय-समय पर जांच करें और किसी भी संदिग्ध मिलावट की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें.