
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान मानद विश्वविद्यालय जयपुर नशा छोड़ने वालों के लिए शरणस्थली बन गया है. अगद तंत्र विभाग में संचालित नशा मुक्ति केन्द्र पर राजस्थान के अलावा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, यूपी और मध्य प्रदेश से भी लोग नशा छुड़वाने को आ रहे हैं. सेंटर पिछले नौ साल में काउंसलिंग, दवाइयों, पंचकर्म और योग से 1500 से ज्यादा लोगों का नशा छुड़वाकर उनका जीवन बदल चुका है. खास बात ये है कि 15 से 45 दिन का यह पूरा इलाज निशुल्क किया जाता है. इससे जहां आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवार में खुशी का माहौल है, वहीं परिजनों का कहना है कि हमेशा नशे में छोटी-छोटी बातों पर परिवार और पड़ोसियों से झगड़ा करने वाले अब दूसरों को भी नशा छोड़ने की सलाह दे रहे हैं.
केस 1: सुरजीत नशे में बच्चों को मारते थे, अब शराब नहीं पीने की सलाह दे रहे
पंजाब के सुरजीत (28) रोज शराब पीकर घर पर आते थे और पत्नी से झगड़ा करते थे. एक दिन उन्होंने नशे में अपने बच्चों को पीटा भी. संस्थान में 14 दिन आयुर्वेद संस्थान में इलाज लेने के बाद आज वो दूसरों को शराब नहीं पीने की सलाह दे रहे हैं.
केस 2: स्मैक की लत तीन माह में ही छूट गई
जयपुर के मनोहर (30) स्मैक का आदी था. कई कोशिशों के बाद भी लत नहीं गई. ससुराल वालों के कहने पर एनआईए स्थित सेंटर पर दिखाया. तीन माह तक इलाज लेने के बाद नशे से पूरी तरह दूर हो गया है.
केस 3: 10 साल से बीड़ी की लत थी, अब खत्म
हिमाचल प्रदेश के सुदेश (42) पिछले 10 साल से बीड़ी पी रहे थे. इसके चलते फेफड़ों में दिक्कत आ गई थी, सांस लेने में दिक्कत आने लगी. 45 दिन इलाज लेने पर बीड़ी से मोह छूट गया।
नशा मुक्ति केन्द्र की प्रभारी डॉ. अनिता शर्मा ने बताया कि यहां इन 4 स्टेप में इलाज होता है.
आउटडोर: ओपीडी में मरीज को देखा जाता है. यहीं तय होता है कि आगे कैसा इलाज होना है.
काउंसलिंग: लाइफ स्टाइल का पता किया जाता है. नशा क्यों नहीं छूट रहा इसकी वजह पता कर काउंसलिंग की जाती है.
ट्रीटमेंट: नशे के हिसाब से इंटरनल मेडिकेशन, डाइट मोडिफिकेशन और लाइफ स्टाइल में बदलाव किया जाता है. पंचकर्म प्रोसीजर (वीरेचन, बस्ती, स्वेदन), एक्सटर्नल थैरेपी (शीरोधारा, शीरों अभ्यंग, शीरो पीचू, कवाल, गंडूसा), प्राणायाम और ध्यान से इलाज किया जाता है. नशा करने के बाद होने वाली परेशानियों का भी इलाज किया जाता है.
मॉनिटरिंग: नशा छोड़ने में दिक्कत आने पर हिमेटोलोजिकल, बायोकेमिकल टेस्ट एंड एडिक्शन असेसमेंट स्केल की जाती है.
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के कुलपति डॉ. संजीव शर्मा ने बताया, यहां आउटडोर, 20 बेड का वार्ड और जांच सुविधा उपलब्ध है. 15 से 45 दिन में नशा छूट जाता है.