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Kashvi Pareek का करिश्मा! 9 साल की उम्र में ब्लाइंडफोल्ड के बाद पढ़ती है किताब, चित्रों में भरती है रंग

9 साल की काश्वी पारीक ब्लाइंडफोल्ड के बाद किताब पढ़ने से लेकर बारीक चित्रों में रंग भरने और स्केच तैयार करने का कारनाम करती है. इन कारनामों के लिए उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है. राजस्थान के जयपुर की रहने वाली काश्वी ने एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए भी अप्लाई किया है.

जयपुर की ब्लाइंडफोल्ड आर्टिस्ट काश्वी पारीक का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज जयपुर की ब्लाइंडफोल्ड आर्टिस्ट काश्वी पारीक का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज

राजस्थान के जयपुर में काश्वी पारीक नाम की एक बच्ची ने अपनी लगन और मेहनत से करिश्मा कर दिखाया है. काश्वी अपनी दोनों आँखे बंद कर तीसरी आंख यानी मिड ब्रेन से हैरतअंगेज कारनामे करती है. आंख बंद करके किताब पढ़ने की बात हो या फिर किसी कार्ड सीट को छूकर उसमें रंग भरने की, काश्वी ऐसे कारनामें कर अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवा चुकी हैं.

9 साल की बच्ची का कारनामा-
9 साल की काश्वी पारीक जयपुर के सिरसी कॉलोनी की रहने वाली है. इस बच्ची को ब्लाइंडफोल्ड के बाद किताब पढ़ने से लेकर बारीक से बारीक चित्रों में रंग भरने और स्केच तैयार करने में महारत हासिल है. इस बच्ची के इस टैलेंट को देखकर हर कोई ये कहता है कि यह कैसे मुमकिन है? ये बच्ची स्केचिंग, पेंटिंग और कलर के अलावा ब्लाइंडफोल्ड होकर रेडिंग कर लेती है. यहां तक की वह अंधेरे में भी किसी शख्स के पहने हुए कपड़ों का रंग बता देती है.

2 महीने में सीखा हुनर-
काश्वी पारीक ने कहा कि इसके लिए उन्होंने कोच की मदद ली और उन्होंने पहले ध्यान केंद्रित करना सिखाया और उसके बाद मस्तिष्क के केंद्र बिंदु पर ध्यान केंद्रित करते हुए चीजों को जानने की कला भी सिखाई. ब्लाइंडफोल्ड के जरिए चीजों को पहचानने और समझने की कला का हुनर सीखने में करीब 2 महीने का वक्त लगा. इसके बाद अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स बनाया हैं, जिसको लेकर उन्हें काफी खुशी है. अब काश्वी ने एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए भी अप्लाई किया है.

काश्वी पर परिवार को नाज-
काश्वी की इस उपलब्धि पर परिजन भी खुश हैं. सभी घरवालों ने मिलकर काश्वी को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार किया और बराबर मेहनत की. पोती के इस कारनामे पर दादा प्रह्लाद सहाय ने बताया कि पोती ने हमारा नाम रोशन किया हैं और सभी को गौरवान्वित किया है, इस पर सभी को गर्व हैं. इसके लिए हमने पहले ही सोच लिया था कि लीक से हटकर कुछ अलग सिखाएंगे. इसी मकसद से काश्वी को कोच के पास भेजा था और बहुत कम समय में उसने इस कला को सीख लिया. पोती की इस कामयाबी पर वह खासा गौरवान्वित हैं. वहीं काश्वी के पिता राहुल पारीक ने बताया कि बेटी ने हाल ही में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाया है. काश्वी स्केचिंग और पेंटिंग के अलावा ब्लाइंडफोल्ड होकर रिडिंग कर लेती है. इसके लिए उसे स्पेशल कोचिंग करवाई गई है.

90 दिन की होती है ट्रेनिंग-
बता दें कि ये कोई चमत्कार नहीं है, ये एक पद्धति है जिसे ब्लाइंडफोल्ड कहा जाता है. यह एक ऐसा फॉर्मूला है जिससे दिमाग का तीसरा हिस्सा यानि मिड ब्रेन काम करना शुरू कर देता है. इसमें मेडिटेशन और लगातार अभ्यास की जरूरत होती है. ब्लाइंडफोल्ड में सबसे पहले किसी भी शख्स का मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी होता है. इस विधि में आंख पर कॉटन रखने के बाद कसकर पट्टी बांधी जाती है, ताकि किसी भी शख्स की आंखों पर अंधेरा प्रभावी हो जाए. इसके बाद ब्लाइंडफोल्ड व्यक्ति को अपने मस्तिष्क के मध्य भाग पर ध्यान केंद्रित करना होता है. जिसके जरिए ललाट पर चैतन्य भाग के जरिए बाहरी हिस्से की गतिविधियों और वातावरण का आभास होने लगता है. इसके लिए आमतौर पर 90 दिन की ट्रेनिंग का सेशन होता है, जहां रोजाना करीब 4 घंटे का अभ्यास करना होता है.

(जयपुर से विशाल शर्मा की रिपोर्ट)

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