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मिलिए चेनाब घाटी की पहली महिला ई-रिक्शा ड्राइवर से...दो बच्चों की मां होने के साथ परिवार चलाने में ऐसे बंटा रही हाथ

जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में एक महिला घाटी की पहली महिला ई-रिक्शा ड्राइवर हैं. उन्होंने सामाज के विरोध के बावजूद अपने परिवार को आर्थिक संकट से उबारने के लिए ई-रिक्शा चलाना पति से सीखा और अब उसी से घर चला रही हैं.

Meenakshi Meenakshi

महिला सशक्तीकरण और दृढ़ संकल्प की एक दिल को छू लेने वाली कहानी. ये कहानी है जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह शहर में रहने वाली 39 वर्षीय दो बच्चों की मां मीनाक्षी की. मीनाक्षी सभी बाधाओं को पार करते हुए चिनाब घाटी की पहली महिला ई-रिक्शा चालक बन गई हैं. उस वक्त मीनाक्षी का दुनिया ही पलट गई जब उसे पता चला की उसके पति की किडनी फेल हो चुकी हैं.

बुरी किस्मत के अचानक झटके ने परिवार को लगभग गरीबी में धकेल दिया. मीनाक्षी को अपने पति के इलाज के लिए अपना बिजनेस बंद करना पड़ा और अपनी कार सहित अपनी कीमती चीजें बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालाँकि, विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद, मीनाक्षी ने विपरीत परिस्थितियों में उम्मीद नहीं खोई और कठिन रास्ते पर चलने और अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए ई-रिक्शा चलाने का फैसला किया.  

सभी बाधाओं को पार किया
मीनाक्षी के लिए ये सफर आसान नहीं था. उनके रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उन्हें हतोत्साहित किया और ऑटो रिक्शा एसोसिशन की तरफ से भी उन्हें विरोध झेलना पड़ा. लेकिन मीनाक्षी ने किसी की भी नहीं सुनी. मीनाक्षी के ई-रिक्शा चालक बनने के प्रयासों को स्थानीय ऑटो-रिक्शा एसोसिएशन के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि वे पारंपरिक रूप से पुरुषों के क्षेत्र में माने जाने वाले पेशे में एक महिला के कदम उठाने के विचार को समझ नहीं पा रहे थे. मीनाक्षी के रिक्शा सीख लेने के बाद कई लड़कियों ने उनसे उन्हें भी रिक्शा चलाना सीखाने की बात कही.

कितना कमा लेती हैं
तमाम बाधाओं के बावजूद मीनाक्षी चेनाब घाटी में पहली महिला ई-रिक्शा चालक बनी. मीनाक्षी ने कहा, ''मुझे चार महीने पहले का वह दिन याद है जब मैं पहली बार अपने ई-रिक्शा के साथ भद्रवाह के सेरी बाज़ार में ऑटो स्टैंड में दाखिल हुई थी. देवी ने कहा, न केवल राहगीर, बल्कि मेरे साथ के पुरुष ई-रिक्शा ड्राइवर भी मुझे ऐसे देखते थे जैसे मैं उनके बीच एक एलियन हूं. कुछ रिक्शा चालकों ने उन्हें घर लौटने का सुझाव भी दिया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके ग्राहक अपनी जान जोखिम में डालें. मीनाक्षी ने बताया कि वो लोगों की नकारात्मकता से अप्रभावित रहीं और धीरे-धीरे लोगों का भरोसा जीता. वह अब हर दिन 1500 से 2000 रुपये कमा लेती हैं. मीनाक्षी अपने स्टैंड पर कम रहती हैं क्योंकि वो अपने लॉयल कस्टमर्स विशेषकर महिलाओं को लाने-ले जाने में व्यस्त रहती हैं.

मीनाक्षी ने बताया कि पति की किडनी फेल होने से वे लोग कर्ज में डूब गए. कर्ज बढ़ता जा रहा था जिसकी वजह से परिवार को अपनी कार भी बेचनी पड़ी. मीनाक्षी ने समस्याओं से निजात पाने के लिए कई विकल्प देखे तो उन्हें पता चला कि ई-रिक्शा सब्सिडी रेट पर मिलता है. उन्होंने ईएमआई पर ई-रिक्शा खरीदा और फिर उनके पति पम्मी शर्मा ने उन्हें ई-रिक्शा चलाना सिखाया.