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Jeevan Saathi Parichay Sammelan: अकेलेपन से निपटने की पहल! दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों को मिला पार्टनर और प्यार ढूंढने का दूसरा मौका 

Jeevan Saathi Parichay Sammelan: ये कार्यक्रम 50 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए किया गया. इसका मकसद बुजुर्गों के लिए पार्टनर ढूंढना और प्यार करने का दूसरा मौका देना है. ये एक तरह की नई शुरुआत है.

Jeevan Saathi Parichay Sammelan (Representative Image) Jeevan Saathi Parichay Sammelan (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • अकेलेपन से निपटने के लिए एक पहल

  • जीवन में आशा की कहानियां 

अक्सर बुजुर्गों में अकेलापन देखा जाता है. जिससे कई बार वे उदास भी नजर आते हैं. अब इसी उदासी और अकेलेपन को दूर करने के लिए  दिल्ली में जीवनसाथी परिचय सम्मेलन किया गया है. इस पहल को अनुभव फाउंडेशन ने शुरू किया है. ये कार्यक्रम 50 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए किया गया है. इसका मकसद बुजुर्गों के लिए पार्टनर ढूंढना और प्यार करने का दूसरा मौका देना है. 

अकेलेपन से निपटने के लिए एक पहल

एनजीओ के अध्यक्ष नटुभाई पटेल ने इस आयोजन के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा, "सम्मेलन का आयोजन वरिष्ठ नागरिकों के बीच अकेलेपन की बढ़ती समस्या को संबोधित करने, उन्हें प्यार, सहयोग और गले लगाने का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था. ये एक तरह की नई शुरुआत है."

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जीवन में आशा की कहानियां 

प्रतिभागियों में राज नगर, गाजियाबाद की 68 साल की विधवा ममता शर्मा भी थीं, जिन्होंने अपनी मार्मिक यात्रा के बारे में बताया. अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए उन्होंने शिक्षा और सशक्तिकरण के महत्व पर जोर दिया. ममता शर्मा ने विधवाओं के बारे में सामाजिक धारणाओं को चुनौती देते हुए और आत्म-सशक्तीकरण की वकालत करते हुए कहा, "मेरी बेटी ने दूसरे मौके की संभावना पर विश्वास करते हुए मुझे इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया है."

हर किसी को मिले प्यार करने का दूसरा मौका 

सम्मेलन में 50 से 90 साल की उम्र के 70 पुरुषों और 30 महिलाओं ने भाग लिया था. इसमें राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड जैसे अलग-अलग राज्यों से लोग उपस्थित रहे. 

राजस्थान के बूंदी के 68 साल के विधुर और डॉक्टर कृष्णा नंद शर्मा ने भी इसमें भाग लिया. कृष्णा शर्मा ने कहा, "जीवन अनमोल है, और हमें इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए. मुझे खुशी है कि हमें जीवन में एक बार फिर से प्यार करने और पार्टनर ढूंढने का मौका मिल रहा है."

चुनौतीपूर्ण समाज और उसके रीति-रिवाज 

68 साल की उम्र में दुर्गा ठक्कर ने शादी करके समाज के बने-बनाए मानदंडों को चुनौती दी है. वे कहती हैं, "जीवन मुश्किल है, खासकर विधवाओं के लिए, लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने एक स्टैंड लिया और इस नई यात्रा पर निकल पड़ी." अनुभव फाउंडेशन अब तक ऐसे 78 आयोजन कर चुका है. वे इनके माध्यम से लगभग 202 जोड़ों के लिए मैचमेकिंग की सुविधा दे चुके हैं.