
कहते हैं कि नीयत और मेहनत सच्ची हो तो फिर कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है झांसी के अठौंदना गांव में रहने वाली जल सहेली की महिलाओं ने. इन महिलाओं ने टूटे हुए चैकडेम पर बोरी बंधन कर बांध से बहते पानी की जलधारा को रोकने में सफलता हासिल की है. इसके बाद बाद अब नदी का जलस्तर करीब डेढ़ फीट तक बढ़ गया और नतीजन गांव में भी पानी का जलस्तर बढ़ने लगा है.
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्यवाई
झांसी के अठौदना में पहुज नदी पर वर्ष 2020-2021 में बुन्देलखंड पैकेज अंतर्गत लघु सिचाई विभाग द्वारा चैकडेम बनाया गया था. एक साल पहले बरसात में यह चैकडेम टूट गया था. जिससे नदी का जलस्तर नीचे जा रहा था. स्थानीय क्षेत्रवासियों ने इसकी शिकायत कई बार अधिकारियों से करते हुए मरम्मत कार्य कराने की मांग की. लेकिन अधिकारियों ने गम्भीरता से नहीं लिया और पानी रुकने का नाम नहीं ले रहा था. जिस कारण अठौंदना गांव समेत आस-पास इलाके में पानी जल स्तर घटने के कारण किल्ल्त शुरु हो गई. घर की महिलाएं परेशान होने लगीं. हैंडपम्प और कुएं सूखने लगे.
जल सहेलियों ने की मदद
गहराते जल संकट देखकर गांव की महिलाएं आगे आई और जल सहेलियों से सम्पर्क कर अपनी परेशानी बताई. जल सहेलियों ने उनका साथ देने का निर्णय लिया और फिर जलस्तर रोकने का संकल्प लिया. उसी संकल्प के तहत दो दिन पहले जल सहेली की महिलाएं यहां आईं और चंदा इकट्ठा करके पहले खाली बोरियां खरीदीं और फिर उनमें मिट्टी भरकर बोरी बंधन करते हुए पानी का जलस्तर रोकने का प्रयास शुरु कर दिया. इसमें काफी हद तक सफलता मिलती नजर आ रही है.
जल सहेली, रचना यादव कहती हैं कि वे अठौंदना गांव की रहने वाली हैं. लोगों के यहां पानी की बहुत ज्यादा किल्लत है. बोर में पानी नहीं आ रहा है कुएं भी सूख गए. खेतों की सिचाई में भी परेशानी आती है. महिलाओं को जानवरों का भी काम करना है और घर का भी. प्रशासन से कई बार कह चुके हैं लेकिन कोई सुन नहीं रहा तो महिलाओं ने दीवाली के समय दीप प्रज्वलित कर संकल्प लिया था कि हम लोग बोरी बंधन कर इसका जलस्तर बढायेंगे. अब 15 महिलाओं ने यह काम शुरु किया और बोरी बंधन शुरु कर दिया है, जिससे नलों में पानी आने लगा. यहां बांध पहले से था जो बरसात में क्षतिग्रस्त हो गया. जब महिलाएं आगे आईं तो परिवार वालों ने मना कर दिया. अभी भी परिवार के लोगों को इस काम के बारे में नहीं पता है.
नहीं रुके महिलाओं के कदम
इरादे मजबूत थे और डगर मुश्किल, फिर इन महिलाओं के हौंसले कमजोर नहीं हुए. यह महिलाएं आगे आई और इन्होंने शुरु कर दिया बोरी बंधन का काम. यह चैकडैम से करीब 200 मीटर दूर जाकर पहले फावड़े से मिट्टी खोदती हैं, फिर बोरियों में भरती हैं और इसके बाद सिर पर रखकर चैकडैम तक लाती हैं.
गांव की रहने वाली अंजना कहती हैं कि हमारे इस प्रयास में हमारी सास भी सहयोग कर रही हैं. हमारे पति को यह पता नहीं है. जल सहेली की मदद से यह काम शुरु कर दिया है. गांव वालों ने तो विरोध नहीं किया लेकिन आस-पास के लोगों को जरुरत दिक्कत हुई. उन्होंने हौसले कमजोर करने का प्रयास करते हुए हमारे वीडियो बनाए, लेकिन इरादे कमजोर नहीं हुए.
वीरागंना लक्ष्मीबाई की नगरी झांसी में एक बार फिर महिलाओं ने कर दिखाया कि जिस प्रकार रानी लक्ष्मीबाई ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी, ठीक वैसे ही आज की महिलाएं यहां पानी की किल्लत के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं.
(प्रमोद कुमार गौतम की रिपोर्ट)