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हजारीबाग के जुगाड़ू इंजीनियर पांचवी पास महेश ने बना डाला साइकिल से चलने वाला वाटर पम्प

महेश मांझी की शिक्षा पांचवी कक्षा तक हुई है. इनके पास कोई डिग्री नहीं है. उसके बावजूद इन्होंने बिजली से चलने वाले पुराने वाटर पंप में जुगाड़ लगा कर ऐसा फेरबदल किया कि अब उसे बिजली या डीजल पेट्रोल की जरूरत ही नहीं रही. पंप को केवल साइकिल के एक पिछले पहिए से जोड़ दिया गया है और बस पैडल मारने से पटवन का काम पूरा होने लगता है.

Representative Image (Source- Unsplash) Representative Image (Source- Unsplash)
हाइलाइट्स
  • केवल पांचवी तक पढ़ें हैं महेश

  • सिंचाई करना हो रहा था मुश्किल

पेट्रोल की बढ़ती कीमत और बिजली की किल्लत से परेशान एक 5वीं पास आदिवासी किसान ने चमत्कार कर दिया. झारखंड के इस किसान ने साइकिल से चलने वाला वाटर पम्प बनाया है. अब पेड़ों को पानी देने के लिए महेश को किसी पंप की जरूरत नहीं वो अब आत्मनिर्भर हो गए हैं. 

ये चमत्कार कर दिखाया है झारखंड के हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के मुरकी गांव में रहने वाले महेश मांझी ने. महेश मांझी के बनाए जुगाड़ से वाटर पंप आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. घने जंगलों के बीच बसा यह गांव युवाओं के लिए नौकरी के लिए पलायन करने का कारण बनता जा रहा था, लेकिन अब इंजीनियर महेश मांझी के कारण यह गांव चर्चा में है.

केवल पांचवी तक पढ़ें हैं महेश
महेश मांझी की शिक्षा पांचवी कक्षा तक हुई है. इनके पास कोई डिग्री नहीं है. उसके बावजूद इन्होंने बिजली से चलने वाले पुराने वाटर पंप में जुगाड़ लगा कर ऐसा फेरबदल किया कि अब उसे बिजली या डीजल पेट्रोल की जरूरत ही नहीं रही. पंप को केवल साइकिल के एक पिछले पहिए से जोड़ दिया गया है और बस पैडल मारने से पटवन का काम पूरा होने लगता है. पंप लगभग 1 एचपी के पावर के मोटर के बराबर पानी दे रहा है. शुरुआत में इसमें एक फ्लाईव्हील लगाया गया था लेकिन उसमें ताकत अधिक लगाना पड़ता था. फिर महेश ने इसमें थोड़ा सुधार और किया. महेश ने इसे दो फ्लाईव्हील के सहारे इसे इतना उन्नत बना दिया कि आसानी से पैडल मारकर थोड़ी ही देर में पटवन का काम पूरा किया जा सकता है.

सिंचाई करना हो रहा था मुश्किल
महेश माली के पास लगभग 5 एकड़ जमीन है, जिसे इसी पंप के सहारे महेश और उनका परिवार केवल साइकिल का पैडल मारकर पटवन कर लेता है .महेश मांझी ने बताया कि उनके पास  बिजली से चलने वाली एक एचपी मोटर थी, जो खराब हो गई थी. एक तो इस क्षेत्र में  बिजली की सप्लाई बहुत अच्छी नहीं है. वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल डीजल के दाम इतने बढ़ गए हैं कि उनसे सिंचाई करना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में महेश को इस जुगाड़ का ख्याल आया और उसने इस जले हुए मोटर के बिजली वाले पार्ट को हटा दिया और उस स्थान पर साइकिल से जुगाड़ लगाकर इस मोटर को बना दिया. अब ना तो इसमें बिजली लगती है और ना ही डीजल ,पेट्रोल बस साइकिल पर बैठकर पैडल मारिये और खेत का पटवन कर लीजिए. महेश इस बार इसी के सहारे सब्जी की पूरी खेती कर रहे हैं.

(बिसमय अलंकार की रिपोर्ट)