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Inspirational: पिछले 25 सालों से हरियाली फैला रहा है यह Physiotherapist, लगा दिए 95,000 पेड़-पौधे

यह कहानी है मनोज कुमार सिंह की, जो पिछले 25 सालों से एक कोलमाइन इलाके को हरियाली से भर रहे हैं. पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट मनोज का एक ही सपना है कि आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध हवा मिले.

Physiotherapist planting trees Physiotherapist planting trees

झारखंड का झरिया कोल माइन क्षेत्र है और यहां पर बड़े पैमाने में प्रदूषण के बीच एक शख्स आशा की किरण बनकर पिछले 25 सालों से हरियाली फैला रहा है. फिजियोथेरेपिस्ट से पर्यावरण योद्धा बने मनोज कुमार सिंह ने खुद को एक ही मिशन के लिए समर्पित कर दिया है - औद्योगीकरण से तबाह हुई इस जगह में हरियाली बहाल करना.

450 वर्ग किलोमीटर तक फैली अपनी विशाल कोयला खदानों के साथ, झरिया भारत में सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. लेकिन इस निराशा के बीच, मनोज आशा का बीज बो रहे हैं.उन्होंने यहां पर अब तक 95,000 से अधिक पेड़ लगाए हैं, जिस कारण यहां काफी बंजर जमीन हरियाली से भर गई है.

पिता से मिली प्रेरणा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनोज कुमार सिंह ने पिता से प्रेरणा लेते हुए 1998 में पर्यावरण प्रबंधन की अपनी यात्रा शुरू की. उनके पिता, एक आयुर्वेदिक डॉक्टर थे वृक्षारोपण करते रहते थे. 2005 में, मनोज ने 'ग्रीन लाइफ' की स्थापना की, जो वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित एक संगठन है. वे दूसरों से जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे विशेष अवसरों पर और प्रियजनों की मृत्यु की सालगिरह पर पेड़ लगाने की अपील करते हैं. 

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उनका कहना है कि वे भावी पीढ़ियों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन प्रदान करने के महत्व पर जोर देते हुए नवविवाहित जोड़ों को पेड़ लगाने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं. उनका उद्देश्य इस मिशन को लोगों की भावनाओं से जोड़ना, और जुड़ाव को बढ़ावा देना है.

धीरे-धीरे बन रहा है कारवां 
मनोज का काम कहीं तक भी सीमित नहीं है. फलदार पेड़ बांटने कर नवविवाहितों के लिए पौधे उपलब्ध कराने तक, वह यह सुनिश्चित करते हैं कि हर किसी को अपने पर्यावरण के संरक्षण में हिस्सेदारी मिले. उनके प्रयासों से बहुत से लोग इस नेक काम से जुड़ रहे हैं. मनोज दूसरों को पर्यावरण और पेड़ों के संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं. साथ ही, वह एक अथक कार्यकर्ता और सामुदायिक नेता हैं, जो पर्यावरण संरक्षण से लेकर सामाजिक न्याय तक के मुद्दों पर काम कर रहे हैं. 

झरिया के लोग उनके काम की सराहना करते नहीं थकते हैं. लोगों का कहना है कि यह नहीं देखना चाहिए कि उन्होंने कितने पेड़ लगाए हैं बल्कि आज जो पौधे पेड़ बनकर लहला रहे हैं और लोगों की जिंदगी में ताजा हवा और हरियाली बिखेर रहे हैं, उस पर हमें ध्यान देना चाहिए. मनोज जिस भविष्य की कामना करते हैं वह महत्वपूर्ण है. वह एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं - जहां बंजर भूमि की जगह हरे- भरे जंगल  लेंगे, और स्वच्छ हवा आने वाली पीढ़ियों के फेफड़ों को भर देगी.