आजकल की दुनिया में शायद ही ऐसी कोई चीज जिसमें केमिकल न हो. खान-पान से लेकर होली के रंगो तक, सभी में केमिकल इस्तेमाल हो रहे हैं. ये केमिकल किसी के लिए भी सही नहीं हैं. बहुत बार इन केमिकल का दुष्प्रभाव लोगों को झेलना पड़ता है.
झारखंड की एक महिला केमिकल युक्त रंगों के दुष्प्रभाव से इतनी बीमार हो गई कि उन्हें दो दिनों तक अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. यह महिला हजारीबाग के दारू प्रखंड में पेटो गांव में पलाश स्वयं सहायता समूह की सदस्य ममता देवी हैं. जहां एक ओर लोग रंगो के त्योहार होली की खुशियां मना रहे थे वहीं दूसरी ममता देवी अस्पताल में थीं.
दो साल पहले घटित हुई इस घटना ने ममता को अंदर तक झकझोर दिया और फिर उन्होंने अस्पताल में ही तय किया कि अब उनका महिला समूह ऐसा गुलाल बनाएगा जो बिल्कुल हर्बल होगा. उसमें किसी भी तरह के केमिकल को नहीं मिलाया जाएगा.
महिलाएं बना रही हैं हर्बल गुलाल:
ममता ने अपना यह आइडिया ग्रुप के सामने रखा तो सभी महिलाएं सहर्ष तैयार हो गईं. तय किया गया कि हर्बल गुलाल बनाया जाएगा. उन्होनें गांव के आसपास मिलने वाले पलाश के फूल, गुलाब के फूल, गेंदे के फूल, मोगरे के फूल, चुकंदर, पालक, मुल्तानी मिट्टी, अरारोट, और चंदन जैसी चीजों से गुलाल बनाया जाने लगा.
पिछले दो साल से यह महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही हैं. होली के त्योहार के समय एक महीने तक यह महिला समूह केवल गुलाल बनाता है. इनके बनाए गुलाल इतने प्रसिद्ध हो गए हैं कि ये ऑर्डर पूरा नहीं कर पा रही हैं. समूह की महिलाओं को अच्छा-खासा मुनाफा भी हो रहा है.
जिला-प्रशासन ने सराहा:
इनके इस काम को जिला प्रशासन के लोगों ने भी सराहा है. अब इनके लिए एक स्टॉल बीच शहर में लगाने की बात चल रही है जहां ये अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर पाएंगे और शहर में भी अपने गुलाल को बेच पाएंगे.
इनका दावा है कि इनके बनाए गुलाल किसी भी तरह के केमिकल से युक्त नहीं है. साथ ही, यह हर्बल होने के कारण शरीर के लिए फायदेमंद है. क्योंकि यह उन्हीं चीजों से बनाए जा रहे हैं जिन्हें हम अपने खानपान में इस्तेमाल करते हैं और इन्हें पूरी तरह प्राकृतिक रूप से बनाया गया है.
(बिस्मय अलंकार की रिपोर्ट)