क्या आपको पता है कि भारत की G20 प्रेसीडेंसी के लोगो को कपड़े से बुना गया था और यह कारनामा किया कर्नाटक के राजन्ना-सिरसिल्ला जिले के कारीगर नल्ला विजय ने. विजय अपने काम के लिए न सिर्फ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से प्रशंसा पा चुके हैं बल्कि आज इंटरनेशनल लेवल पर राजन्ना सिरिपट्टू साड़ियों को बढ़ावा दे रहे हैं.
शहर के नए बस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर स्थित एक छोटे से शेड में, 35 वर्षीय हथकरघा बुनकर नल्ला विजय अब 27 तरह-तरह की जड़ी-बूटियों का उपयोग करके साड़ी बुन रहे हैं और यह साड़ी अपने आसपास के वातावरण को महका देती है.
पिता की विरासत को बढ़ा रहे हैं आगे
विजय अपने पिता, दिवंगत नल्ला परंदामुलु से सीखी बुनाई की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनकी कृतियों में कीमती धातुओं जैसे सोने और चांदी के धागों से बनी जरी साड़ी और 2.08 लाख रुपये की रंग बदलने वाली साड़ी शामिल है. वर्तमान में, विजय आधा किलोग्राम सोने का इस्तेमाल करके एक रिफ्लेक्टिव साड़ी पर काम कर रहे हैं, जिसकी अनुमानित लागत 25 लाख रुपये है और एमए एंड यूडी मंत्री केटी रामाराव के सहयोग से जल्द ही इसका अनावरण किया जाएगा.
विजय के पिता ने एक ऐसी साड़ी बुनी थी जिसे फोल्ड करके माचिस की डिब्बी में रखा जा सकता था. इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए, विजय ने एक साड़ी को इतनी बारीकी से बुनने का रिकॉर्ड भी बनाया है कि वह सुई की आंख से भी गुजर सकती है. विजय लगातार ऐसे अनूठे डिजाइन बुनने का प्रयास करते हैं जो बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं. उन्हें राज्य और बाहर की प्रसिद्ध हस्तियों से ऑर्डर मिले हैं.
मिला है कला रत्न पुरस्कार
उनके योगदान को मान्यता देते हुए, राज्य सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित चेनेटा कला रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया. मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव ने व्यक्तिगत रूप से विजय को पुरस्कार प्रदान किया. खासकर कि विजय के शिल्प कौशल को तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली जब उन्होंने पीएम मोदी के सौजन्य से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा को एक बारीक बुनी हुई शॉल और साड़ी भेंट की.