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6 महीने की उम्र में खोया था पिता को, Google ने 55 साल बाद पहुंचाया उनकी कब्र तक, दिल छू लेगी यह कहानी

केरल में पिता-पुत्र के प्रेम की एक अनोखी कहानी सामने आई है. बेटा मात्र 6 महीने का था जब पिता की मौत सालों पहले मलेशिया में हुई. लेकिन आज 55 सालों बाद यह बेटा अपने पिता की कब्र तक जा पहुंचा.

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हाइलाइट्स
  • पिता की तलाश ले गई मलेशिया

  • 55 साल बाद पहुंचे पिता की कब्र तक 

56 वर्षीय थिरुमरन को अपने पिता की कोई याद नहीं है. उन्होंने बस सुना था कि उनके पिता के. रामासुंदरम उर्फ ​​पूनगुंट्रान मलेशिया के एक स्कूल में पढ़ाते थे और थिरुमरन के पैदा होने के छह महीने बाद ही उनकी मृत्यु हो गई. लेकिन आज Google की मदद से पी थिरुमरन ने वह किया जिसकी कल्पना शायद ही कोई करे. 

तिरुनेलवेली जिले के वेंकडमपट्टी गांव में रहने वाले थिरुमरन हाल ही में अपने पिता की कब्र खोजने के लिए निकले थे. वह पेशे से सोशल वर्कर हैं. 

पिता की तलाश ले गई मलेशिया
थिरुमरन ने टीएनआईई को बताया, “मेरे पिता 37 वर्ष के थे जब 1967 में एक बीमारी से उनकी मृत्यु हो गई. मेरी मां राधा ने उन्हें दफनाया और मुझे भारत वापस ले आईं. मां भी 35 साल पहले मर गईं." लेकिन वह हमेशा यह जानना चाहता था कि उसके पिता को कहां दफनाया गया था. 

उन्हें पता था कि उनके पिता मलेशिया के केरलिंग में केरलिंग थोट्टा थेसिया वकाई तमिल पल्ली नामक एक स्कूल में काम करते थे. गूगल के माध्यम से, उन्हें पता चला कि स्कूल की इमारत जर्जर है और स्कूल को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है. उन्हें गूगल से ही प्रधानाध्यापक कुमार चिदंबरम का ईमेल पता मिला और थिरुमरन ने उन्हें लिखा कि वह अपने पिता की कब्र ढूंढना चाहते हैं. 

पहुंचे पिता की कब्र तक 
चिदंबरम ने रामसुंदरम के पुराने छात्रों मोहना राव और नागप्पन से संपर्क किया. इसके बाद दोनों ने केरलिंग में अपने शिक्षक की कब्र देखी और थिरुमरन को सूचित किया. वह 8 नवंबर को मलेशिया गया और वहां झाड़ियों में अपने पिता की कब्र देखी. कब्र के ऊपर लगे पत्थर पर उनके पिता की छवि थी, साथ ही उनका नाम, और जन्म और मृत्यु की तारीखें थीं. 

भारत लौटने से पहने उन्होंने कई बार अपने पिता की कब्र पर प्रार्थना की. खुद एक अनाथ होकर भी थिरुमरन एक अनाथालय चलाते हैं. उन्होंने लगभग 60 अनाथों की शादियां कराने में मदद की है, और 100 से अधिक को नौकरी दिलाने में मदद की है. इसके अलावा, उन्होंने 3,009 रक्तदान शिविर आयोजित किए हैं.