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ये हैं 'नेस्ट मैन ऑफ इंडिया', अब तक बना चुके हैं ढाई लाख से ज्यादा घोंसले

राकेश खत्री जूट से घोंसले बनाते हैं. उनके पास प्लास्टिक वेस्ट से बने घोंसले भी हैं. वह लकड़ी के घोसले भी बनवाते हैं, ताकि उन्हें शहरों में बने घरों के बाहर लगाया जा सके.

'नेस्ट मैन ऑफ इंडिया' 'नेस्ट मैन ऑफ इंडिया'
हाइलाइट्स
  • नौकरी छोड़कर शुरू किया घोंसला बनाना.

  • पत्नी भी देती हैं इस काम में उनका साथ.

हम अपने घरों को कितने प्यार से सजाते हैं, लेकिन कभी सोचाहैं  कि जानवरों और पक्षियों के घर हमारी वजह से उजड़ते जा रहे हैं.  बढ़ते शहरीकरण और कटते पेड़ों की वजह से जानवर और पक्षी प्रभावित होते हैं. इसमें सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हुआ है तो वह गौरैया चिड़िया है जो बचपन में हमें हर जगह नजर आती थी, लेकिन अब उसका चहचहाना जैसे बंद हो गया है. गौरैया अब हमारे आसपास कम नजर आती है, लेकिन एक शख्स हैं  जो गौरैया का आशियाना बनाते हैं, उसे प्यार से सजाते हैं. 

राकेश खत्री पिछले करीबन 14 सालों से गौरैया के घोंसले बना रहे हैं. अब तक तकरीबन 2 लाख 50 हजार से ज्यादा घोंसले वो बना चुके हैं. इसके पीछे वो अपने बचपन की एक कहानी भी बताते हैं कि कैसे वो बचपन में गौरैया को पकड़ कर उसे रंग दिया करते थे. उनके माता-पिता उन्हें इस चीज के लिए डांटा भी करते थे. जिसके बाद गौरैया को बचाने की यह शुरुआत साल 2008 में राकेश खत्री जी ने की थी. उस वक्त उन्होंने नहीं सोचा था कि वह इतने सालों तक इस काम को जारी रख पाएंगे. 

उनके बनाए घोंसले में सबसे पहले बुलबुल ने आशियाना बनाया

राकेश खत्री पहले एक शार्ट फिल्म मेकर और फोटोग्राफर थे लेकिन जब उन्होंने देखा कि चिड़ियाओं की संख्या घट रही है तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और नारियल के शैल से घोंसला बनाना शुरु कर दिया. शुरुआत में लोग उनसे कहते थे कि चिड़िया अपना घोंसला खुद बनाती हैं, ऐसे में वह आपके बनाए कृत्रिम घोंसले में कैसे आएगी. पर लोगों की यह बात गलत साबित हुई और उनके बनाए घोंसले में सबसे पहले बुलबुल ने अपना आशियाना बनाया. इस तरह उन्हें हिम्मत मिली और उन्होंने घोंसले लगाने का काम जारी रखा.

जूट से बनाते हैं घोंसले

राकेश खत्री जूट से घोंसले बनाते हैं. उनके पास प्लास्टिक वेस्ट से बने घोंसले भी हैं. वह लकड़ी के घोसले भी बनवाते हैं, ताकि उन्हें शहरों में बने घरों के बाहर लगाया जा सके. राकेश खत्री की पत्नी मोनिका खत्री भी उनका साथ देती आई हैं. मोनिका खत्री का कहना है कि जिस तरीके से मनुष्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, पेड़ों को लगातार काटा जा रहा है. उसकी वजह से चिड़ियों के लिए घर नहीं बचे हैं इसलिए गौरैया के लिए घोंसला बनाने के काम को वह बेहद खुशी से करती हैं.

'नेस्ट मैन ऑफ इंडिया'
'नेस्ट मैन ऑफ इंडिया'

मिल चुके हैं कई अवॉर्ड 

राकेश खत्री को इस काम के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं, लेकिन वह कहते हैं कि सबसे बड़ा सम्मान और खुशी उन्हें तब मिलती हैं  जब घोंसले के अंदर चिड़िया अपना घर बना लेती हैं. राकेश खत्री को 'नेस्ट मैन ऑफ इंडिया' कहा जाता है. उन्हें लिम्का बुक ऑफ अवार्ड से सबसे ज्यादा वर्कशॉप करने के लिए दो बार नवाजा गया है. राकेश खत्री को इंटरनेशनल ग्रीनएप्पल अवार्ड दिया गया है, साथ ही उनके नाम से एक चैप्टर भी क्लास 4 की किताब में जोड़ा गया है.

उनकी कहानी पर लिखी गयी है किताब 

राकेश खत्री जी छोटे बच्चों को घोसले बनाने की वर्कशॉप देते हैं, छोटे बच्चों को सिखाते हैं कि किस तरीके से पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है. उनकी वर्कशॉप में बच्चों के साथ उनके माता-पिता भी आते हैं, जो खुद भी इस बात की बारीकी को समझते हैं कि पर्यावरण संरक्षण कितना महत्वपूर्ण है. राकेश खत्री ने 2012 में एक फाउंडेशन की भी शुरुआत की है जिसका नाम उन्होंने 'इको रूट्स' दिया है. इसी के जरिए ज्यादा से ज्यादा घोंसले बनाने का काम किया जा रहा है, जिसमें उन्हें लोगों का भी सहयोग मिल रहा है. राकेश खत्री की कहानी 'Unfold the Stories of Unsung Heroes किताब में भी लिखी गई है.