लद्दाख के एक सुदूर गांव में सरकारी स्कूल ने ग्रामीणों की पूरी जिंदगी ही बदल दी है. इस सरकारी स्कूल के चलते गांव छोड़कर जा चुके लोग फिर से वापस चले आए है. जिस स्कूल में दो साल पहले तक केवल 5 बच्चे ही पढ़ा करते थे. वहां पर अब 21 छात्र पढ़ाई कर रहे है. बच्चों की पढ़ाई को लेकर उनके जो अभिवावक लेह शहर के लिए चले गए थे. जिनके जाने से गांव के बड़े बुजुर्ग खुद को लावारिस महसूस कर रहे थे. वह अब बेहद खुश है.
स्कूल में बढ़ी छात्रों की संख्या
यह गांव यूटी कैपिटल लेह से करीब 25 किलोमीटर दूर है. तरू गांव के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल को 1955 में स्थापित किया गया था. इस स्कूल में करीब 5 दशक पहले 65 छात्रों का नामांकन हुआ था. इस स्कूल में साल दर साल बच्चों के एडमिशन की संख्या घटती गई. यह स्थिति यहां तक पहुंच गई कि इस स्कूल में 2019 में महज 5 बच्चों ने ही नामांकन करवाया था. इसके पीछे का कारण गांव से कई ग्रामीणों का पलायन कर जाना. इस स्थिति को देखते हुए स्थानिय स्कूल के प्रधानाध्यापकों और स्थानीय युवा संघ का साथ ग्राम प्रधान ने बच्चों को स्कूल की तरफ आकर्षित करने के लिए जागरूकता शिविर चलाया.
गांव छोड़कर जा चुके ग्रामीण लौटे वापस
इस जागरूकता अभियान को इस स्तर तक चलाया गया कि बच्चे दोबारा स्कूल की तरफ आकर्षित हो. इस जागरूकता अभियान के तहत स्थानीय शिक्षक, सोनम और ग्राम प्रधान के प्रयास से बच्चों को दोबारा स्कूल पढ़ने के लिए आने के लिए आकर्षित करने का मिशन में सफल हुए. इस अभियान के तहत इस बार स्कूल में 21 छात्रों ने नामांकन करवाया है. बच्चों के दोबारा स्कूल लाने के लिए चलाए गए अभियान से एक और फायदा हुआ कि गांव छोड़कर जा चुके ग्रामीण भी गांव वापस लौट आए है.
(लेह से बाकिर चो की रिपोर्ट)